मत्स्य पालन से लाभान्वित होंगे कोसी के मत्स्यपालक

सहरसा। कोसी क्षेत्र में मत्स्यपालन की अपार संभावना को देखते हुए मत्स्य विभाग ने मुख्यमंत्री मत्स्य विका

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 05:24 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 05:24 PM (IST)
मत्स्य पालन से लाभान्वित 
होंगे कोसी के मत्स्यपालक
मत्स्य पालन से लाभान्वित होंगे कोसी के मत्स्यपालक

सहरसा। कोसी क्षेत्र में मत्स्यपालन की अपार संभावना को देखते हुए मत्स्य विभाग ने मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना के तहत इस क्षेत्र में मिश्रित मत्स्यपालन का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत एक ही तालाब में विभिन्न किस्म की मछली का पालन किया जाएगा। इसमें कुछ मछलियां काफी कम समय में विकसित होगी। जबकि कुछ के देर से विकसित होने के कारण मत्स्यपालक को नियमित आय होगी। यह योजना जल प्रभावित कोसी क्षेत्र के मत्स्यपालकों के लिए वरदान साबित होगा।

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एक ही तालाब में पलेगी देसी और विदेशी मछलियां

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देसी और विदेशी मछलियों के एकसाथ पालन से मछलियों के रहने और चारे को लेकर मारामारी की संभावना नहीं रहती है। साथ ही बड़ी मछली द्वारा छोटी मछली को खाने की समस्या नहीं रहती है। इस योजना के तहत क्षमता से अधिक मछली का पालन एक तालाब में हो सकेगा। इसके लिए देशी मछली रेहू, कतला और नैनी के अलावा विदेशी मछली सिल्वर क्राफ्ट, कॉमन क्राफ्ट और ग्रास क्राफ्ट को एक साथ पालने की योजना है। जिससे कम लागत में मत्स्यपालक को अत्यधिक लाभ होगा।

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14 हेक्टेयर में होगा मिश्रित मत्स्यपालन

मत्स्य विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में जिले के 14 हेक्टेयर में मिश्रित मत्स्यपालन की योजना बनाई है। इसके लिए प्रति हेक्टेयर लागत मूल्य छह लाख अनुदान तय किया गया है। इस लागत मूल्य पर मत्स्यपालकों को पचास फीसद अनुदान का प्रावधान किया है। इसके लिए मत्स्यचारा के लिए भी सुविधाएं प्रदान की जाएगी। विभाग ने किसानों को आधुनिक मत्स्यपालन के लिए विभिन्न संस्थानों में मत्स्यपालकों को प्रशिक्षण देने का भी निर्णय लिया है।

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मिश्रित मत्स्यपालन से मत्स्यपालक कम लागत में अत्यधिक मुनाफा कमा सकते हैं। कोसी क्षेत्र में इसकी काफी संभावना है। इस मत्स्यपालन में भोजन व रहने के लिए मछली के बीच मारामारी नहीं रहता। उम्मीद है कि इस इलाके के मत्स्यपालक इसका भरपूर लाभ लेंगे।

मनोरंजन कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी, सहरसा।

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