कोजागरा को लेकर गांव में उत्सवी माहौल

सहरसा। मिथिलांचल का लोक पर्व कोजागरा को लेकर गांव गांव में उत्सवी माहौल बना रहा। बाजार में भी चहल-पहल बढ़ गई है। जहां-तहां मखाना की दुकानें सजी और बिकी भी। समाज के लोगों के बीच मखाना-बताशा और पान बांटा गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 05:27 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 05:27 PM (IST)
कोजागरा को लेकर गांव में उत्सवी माहौल
कोजागरा को लेकर गांव में उत्सवी माहौल

सहरसा। मिथिलांचल का लोक पर्व कोजागरा को लेकर गांव गांव में उत्सवी माहौल बना रहा। बाजार में भी चहल-पहल बढ़ गई है। जहां-तहां मखाना की दुकानें सजी और बिकी भी। समाज के लोगों के बीच मखाना-बताशा और पान बांटा गया।

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लक्ष्मी की होती है पूजा

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कोजागरा पर्व आश्विन मास की पूर्णिमा यानी कि शरद पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही नवविवाहित दूल्हे का चुमावन कर नवविवाहितों के समृद्ध और सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना की जाती है। इसके बाद लोगों के बीच मखाना-बताशा, पान आदि बांटे जाते हैं। पंडित बमबम झा बताते हैं कि मान्यता है कि कोजागरा की रात लक्ष्मी के साथ ही आसमान से अमृत वर्षा होती है। पूरे वर्ष में शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सबसे अधिक शीतल और प्रकाशमान प्रतीत होते हैं। इन सब के बीच यह पर्व सामाजिक समरसता का भी प्रतीक माना जाता है।

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पचीसी खेलने की है परंपरा

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शरद पूर्णिमा की शीतल रात में पीसे अरवा चावल के घोल पिठार से आंगन में बने अड़िपन अल्पना पर दूल्हे का चुमावन ससुराल से आए धान व दूब से किया जाता है। इसके बाद जीजा - साला औैर देवर-भाभी के बीच कौड़ी का खेल खेला जाता है। पूरी रात घरों में हास-परिहास का माहौल बना रहता है। यह पर्व दूल्हे के घर होता है और इस दौरान दुल्हन मायके में रहती है। घर की महिलाओं द्वारा चुमावन के बाद बुजुर्ग मंत्र के साथ दूर्वाक्षत देकर दूल्हे को आशीर्वाद देते हैं। इसके बाद पान-मखान के वितरण किया जाता है।

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मखाना से पटा बाजार

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इस पर्व में मखाना और पान का विशेष महत्व माना जाता है। इस कारण पूरे वर्ष में मखाना के भाव सबसे अधिक इसी दौरान होता है। शहर से लेकर गांवों तक में जगह-जगह मखाना की दुकानें सज चुकी है। इस बार मखाना का भाव सात सौ आठ सौ रुपये प्रति किलो बताया जा रहा है। वहीं ग्रामीण इलाकों में भी दाम में विशेष अंतर नहीं है। मखाना व्यापारियों की मानें तो दिनानुदिन मखाना का उत्पादन घटता जा रहा है। इससे इसके मूल्य पर असर पड़ रहा है।

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