जैविक खेती कर किसानों को जागरूक करेंगी दीदियां

सहरसा। रसायनिक खादों के प्रयोग से जहां खेतों की उर्वराशक्ति समाप्त हो रही है वहीं मानव

By JagranEdited By: Publish:Wed, 26 Aug 2020 05:18 PM (IST) Updated:Wed, 26 Aug 2020 05:18 PM (IST)
जैविक खेती कर किसानों को 
जागरूक करेंगी दीदियां
जैविक खेती कर किसानों को जागरूक करेंगी दीदियां

सहरसा। रसायनिक खादों के प्रयोग से जहां खेतों की उर्वराशक्ति समाप्त हो रही है, वहीं मानव जीवन पर इसका कई तरह का दुष्प्रभाव पड़ रहा है। रसायनिक खाद व कीटनाशक के सहयोग से उत्पादित खाद्यान्न व सब्जियों के उपयोग से लोगों के बिगड़ रहे स्वास्थ्य को बचाने के लिए जीविका समूह ने जैविक खेती की योजना बनाई है। जीविका दीदियां जैविक खेती से जहां अपनी आमदनी बढ़ाएगी, वहीं इलाके के किसानों को इस खेती के लिए जागरूक करेंगी। जैविक खेती के लिए जिले के सभी प्रखंडों में रणनीति बनाई जा रही है। आनेवाले दिनों में कोसी प्रभावित सहरसा के अलावा मधेपुरा और सुपौल जिले में भी जीविका दीदियों द्वारा बड़े पैमाने पर जैविक खेती की संभावना प्रबल हो गई है

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प्रथम चरण में में बनाए गए 11 कलस्टर -----

जैविक खेती के लिए प्रथम चरण में जिले के पतरघट, सोनवर्षा, सौरबाजार, सिमरीबख्तियारपुर व नवहट्टा के 27 गांवों का चयन किया गया है। इन गांवों में कुल 11 कलस्टर बनाया गया है। जिसमें 31 स्थानीय समूह और 682 दीदियों को लगाया जा रहा है। प्रथम चरण में लगभग पांच सौ एकड़ में गेहूं- धान और विशेषकर सब्जी की खेती की जाएगी। दूसरे चरण में जिले के अन्य भागों में इस योजना को विस्तार दिया जाएगा। -------------------

जैविक खाद का भी किया जाएगा उत्पादन -----

जीविका दीदियां जैविक खेती के लिए स्थानीय स्तर पर वर्मी कम्पोस्ट व अन्य जैविक खाद तथा नीम की पत्ती आधारित जैविक कीटनाशक का भी उत्पादन करेंगी। इससे जहां दीदियां अपने कलस्टर में खेती करेंगी, वहीं अन्य जगहों के लिए जैविक खाद की भी बिक्री करेंगी। इससे जहां समूहों की आमदनी बढ़ेगी, वहीं जैविक खाद व खेती के प्रति किसानों का भी रुझान बढ़ेगा। इससे खेती को नवजीवन भी मिलेगा।

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क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

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कृषि वैज्ञानिक भारती मंडन कृषि महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डा. आरसी यादव कहते हैं कि रसायनिक खाद के प्रयोग से खेतों में नाइट्रोजन, कैल्शियम, फॉसफोरस समेत अन्य पोषक तत्वों की बेहद कमी हो जाती है। रसायनिक उर्वरक मानव, जीव- जन्तु के साथ भूमि के लिए भी काफी हानिकारक है। जिन खेतों में इन पोषक तत्वों की कमी हो गई, उसमें भी जैविक खाद के लगातार प्रयोग से जमीन के पोषक तत्वों की कमी दूर होगी। खेतों की उर्वराशक्ति बढ़ेगी और इससे उत्पादन में भी काफी बढ़ोतरी होगी।

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क्या कहते हैं किसान

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वर्मी पीट के जरिए खुद जैविक खाद तैयार कर खेती करनेवाले गोबरगरहा के किसान सुभाष यादव कहते हैं कि रसायनिक खाद का उपयोग करने के कारण उन्हें लागत ज्यादा लगता था, जबकि उपज कम होती थी। लागत मूल्य निकालना भी कठिन हो जाता था, जबकि जैविक खाद के कारण उसी खेत में दोगुना उत्पादन होने लगा है। पड़रिया के रामविद महतो का कहना है कि केचुआ आधारित जैविक खाद के प्रयोग से उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई है। आनेवाले दिनों में वे जैविक खाद निर्माण के कार्य को भी और बढ़ाना चाहते हैं।

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जैविक खेती से जहां जमीन की बर्बाद हो रही उर्वराशक्ति को नवजीवन मिलेगा, वहीं लोगों के स्वास्थ्य की भी रक्षा होगी। इससे जीविका दीदियों की आमदनी भी बढ़ेगी। यह योजना कोसी क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो सकता है। अभिषेक कुमार

डीपीएम, जीविका, सहरसा।

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