अब क्वारंटाइन सेंटर में बढ़ई बनाएंगे बेंच-डेस्क

सहरसा। देश के दूसरे इलाकों से लौट रहे मजदूरों को अपने गांव में ही रोजगार देने को लेकर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 May 2020 04:04 PM (IST) Updated:Mon, 25 May 2020 04:04 PM (IST)
अब क्वारंटाइन सेंटर में 
बढ़ई बनाएंगे बेंच-डेस्क
अब क्वारंटाइन सेंटर में बढ़ई बनाएंगे बेंच-डेस्क

सहरसा। देश के दूसरे इलाकों से लौट रहे मजदूरों को अपने गांव में ही रोजगार देने को लेकर पहल शुरू हो गई है। हुनरमंद मजदूरों को रोजगार मिलने भी लगा है। वहीं अकुशल मजदूरों का जॉब कार्ड निर्माण क्वारंटाइन सेंटर पर शुरू है। इन्हें पंचायतों में चल रहे मनरेगा योजना में काम देने की योजना प्रशासन की है।

परदेश से लौट रहे मजदूरों के रोजगार सृजन के लिए उनका डेटा तैयार किया जा रहा है। इसमें परदेश में रहने वालों से कार्य कुशलता की जानकारी भी ली जा रही है। इससे प्रशासन कुशल और अकुशल मजदूरों की जानकारी इकट्ठा कर रहा है। प्रवासियों के हुनर के अनुसार उन्हें काम देने की कवायद जिला प्रशासन ने शुरू की है।

बढ़ई बनाएंगे स्कूल के बेंच-डेस्क

सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के गायत्री निकेतन क्वारंटाइन सेंटर पर रह रहे सात बढ़ई को जिला प्रशासन ने बेंच - डेस्क निर्माण का काम दिया है। इन मजदूरों को उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिटानाबाद में बेंच-डेस्क सप्लाई का काम दिया गया है। यहां दो लाख रुपये की लागत से बेंच-डेस्क की खरीदारी होगी। डीईओ जयशंकर ठाकुर के अनुसार इसके लिए यदि आवश्यक हुआ तो अग्रिम राशि भी दी जाएगी।

दर्जी बनाएंगे मास्क

परदेश में दर्जी का काम कर रहे लोगों को फिलहाल मास्क बनाने का काम दिया जाएगा। वो मास्क बनाकर जीविका के माध्यम से इसकी बिक्री करेंगे।

नल-जल योजना में काम करेंगे प्लंबर

ऐसे कुशल मजदूर जो परदेश में प्लंबर का काम करते थे और कोरोना संकट में घर लौट आए हैं। ऐसे लोगों की सूची पीएचईडी विभाग को सौंपी जाएगी। इसके तहत पीएचईडी में चल रहे जल-नल योजना में ऐसे लोगों को रोजगार दिलवाया जाएगा। वहीं बिजली का काम करने वालों को बिजली विभाग में काम दिलवाने का प्रयास प्रशासन कर रहा है। जबकि राजमिस्त्री का काम करने वालों को लोहिया स्वच्छता योजना के तहत काम पर लगाया जाएगा।

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कोट

बाहर से लौटे मजदूरों का डेटा तैयार किया जा रहा है। उनके रोजगार के लिए प्रशासन पहल कर रही है। कुशल मजदूरों की एक टीम को काम दिलवाया गया है। सरकार की मंशा है कि मजदूरों को स्थानीय स्तर पर काम मिले और वो बाहर नहीं जाएं।

कौशल कुमार, जिलाधिकारी, सहरसा

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