उम्मीदवार तय नहीं पर पार्टी के जयघोष लगे हैं कार्यकर्ता

सहरसा। एकबार फिर चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। अभी किसी भी पार्टी से अपने उम्मीदवार

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 07:09 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 07:09 PM (IST)
उम्मीदवार तय नहीं पर पार्टी 
के जयघोष लगे हैं कार्यकर्ता
उम्मीदवार तय नहीं पर पार्टी के जयघोष लगे हैं कार्यकर्ता

सहरसा। एकबार फिर चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। अभी किसी भी पार्टी से अपने उम्मीदवार फाइनल नहीं किए हैं, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता जयघोष में लगे हुए हैं। आश्वासन और वादों का दौर शुरू हो गया है, लेकिन पिछले पांच साल में विकास को रफ्तार नहीं मिल सकी। जो मुद्दे पांच साल पहले थे आज भी उन्हीं मुद्दों के आसपास चुनाव अटका हुआ है। पांच साल पहले भी बंगाली बाजार रेल ओवरब्रिज निर्माण की बात होती थी आज भी लोगों को इसका इंतजार है। यही स्थिति बैजनाथपुर पेपर मिल की है। निर्माण के बाद कभी इस मिल ने धुंआ नहीं छोड़ा।

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चार बार हुआ शिलान्यास, नहीं हो सका निर्माण

ओवरब्रिज निर्माण को लेकर बंगाली बाजार रेलवे ढाला पर अब तक चार बार पुल का शिलान्यास हो चुका है। वर्ष 1997 में तत्कालीन रेल राज्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सहरसा में शिलान्यास किया। वर्ष 1998 में तत्कालीन रेल मंत्री रामविलास पासवान ने अपने मंत्रित्व काल में शिलान्यास किया। इसके बाद वर्ष 12 जून 2005 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने सहरसा रेलवे स्टेशन पर ही आमान परिवर्तन कार्य का शुभारंभ करते हुए इस योजना का शिलान्यास किया। इसके बाद चौथी बार 22 फरवरी 2014 में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी ने आरओबी का शिलान्यास किया। वर्ष 2014 में मिट्टी जांच के लिए दस लाख रुपए भी आवंटित किए गए। राइटस कंपनी एजेंसी ने मिट्टी जांच शुरू की और बड़े-बड़े मशीन लगाए। लेकिन कुछ ही दिनों में सब मशीन लेकर चले गए। तब से यही स्थिति आज तक बनी हुई है। हाल फिलहाल पुल निर्माण निगम को इसके डीपीआर के निर्माण की जिम्मेदारी मिली है। लेकिन मामला फिर से अटका हुआ है।

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नहीं चालू हो सका बैजनाथपुर का पेपर मिल

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बैजनाथपुर पेपर मिल ऐसा मुद्दा है जिसे चालू करने का वादा हर चुनाव में किया जाता है। लेकिन स्थापना काल के बाद इससे धुंआ नहीं निकल सका। इस बार भी यह चुनाव में मुद्दा बनेगा। लोगों की मानें को बैजनाथपुर पेपर मिल की स्थापना 1975 में शुरू हुई थी। 48 एकड़ भूमि अधिग्रहण कर बिहार सरकार ने इसे चलाने के लिए निजी और सरकारी सहयोग से बिहार पेपर मिल लिमिटेड कंपनी की देखरेख में मिल स्थापित करने का काम शुरू हुआ था। लेकिन 1978 में निजी उद्यमियों से करार खत्म होने के कारण काम रुक गया था। सहरसा विधानसभा का लंबे समय से राजनेताओं का एक ही बड़ा मुद्दा रहा है। लेकिन यह मुद्दा चुनावी मुद्दा ही बनकर रह जाता है। चुनाव खत्म होते ही यह मुद्दा दबा का दबा रह जाता है।

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मत्स्यगंधा

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पूर्व जिलाधिकारी तेजनारायण लाल दास के प्रयास से नौका विहार के लिए विख्यात हुई मत्स्यगंधा झील उनके सेवानिवृत होने के कुछ वर्षों बाद ही अपनी रौनक खोने लगी थी। बाद के दिनों में यह झाड़ियों में तब्दील हो गयी। वर्ष 2011 में सेवा यात्रा में आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके जीर्णोद्धार का आग्रह किया। सरकार ने इसके अनुरूप जल- जीवन- हरियाली योजना से इसका कार्य प्रारंभ किया। बीते दो वर्ष से पूरी तरह सूख चुकी इस झील की उड़ाही के क्रम में वर्तमान स्थिति से दो मीटर गहराई बढ़ाई जाएगी। मिट्टी काटने के दौरान संवेदक के कार्य पर लगातार अंगुली लोग उठाते रहे। फिलहाल इसके जीर्णोद्धार का कार्य बंद है।

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बदहाल है स्वास्थ्य सेवा

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सहरसा को आम बोलचाल में लोग कोसी की राजधानी कहते हैं। सहरसा के सदर अस्पताल को कोसी का पीएमसीएच कहा जाता है। लेकिन समय से ओपीडी का संचालन शुरू नहीं हो पाता है। ओपीडी में भी कई डॉक्टर ड्यूटी रहने के बाद भी नदारद रहते हैं। इमरजेंसी वार्ड 24 घंटे चलता है। लेकिन यहां से अधिकांश मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू वार्ड बनाया गया। छह बेड के इस वार्ड का तामझाम के साथ करीब तीन वर्ष पहले शुभारंभ किया गया। परंतु कुछ दिनों के बाद ही इसमें ताला लग गया। कई बार मामला उठाए जाने के बाद दो कर्मी की तैनाती इसमें की गई। एक डॉक्टर को भी इसकी जिम्मेवारी दी गई। परंतु यहां पिछले दो वर्षों से एक भी भर्ती मरीज को नहीं देखा गया है।

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जर्जर सड़क औ जलजमाव

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हर चुनाव में जलजमाव व जर्जर सड़क मुद्दा बनता है। वर्ष 2017 में अतिवृष्टि के दौरान जब पूरा शहर डूब गया तब ड्रैनेज सिस्टम के लिए लगभग पांच सौ करोड़ की लागत से दो पंप हाउस व बारह किलोमीटर नाला निर्माण का फैसला लिया गया। इसके बाद 51 करोड़ की लागत से निर्माण कार्य शुरू भी हुआ लेकिन लंबे समय से पैसे के अभाव में यह कार्य बंद है। हर बरसात में लोग घुटने भर पानी में डूबने को मजबूर होते हैं। फिलहाल पूरे शहर में कुछेक सड़क की बात छोड़ दें तो सारी सड़कें जर्जर हो चुकी हैं। हाल फिलहाल आठ सड़कों का निर्माण कार्य पथ निर्माण विभाग द्वारा शुरू कराया गया है लेकिन उसकी गुणवत्ता को लेकर भी आए दिन शिकायत विभाग को जा रही है।

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