चार सौ से अधिक लोगों को संगीता ने दिया अक्षरज्ञान
सहरसा। जिले के सत्तर कटैया प्रखंड की पुरीख निवासी संगीता कुमारी विगत दो दशक से निरक्षर मि
सहरसा। जिले के सत्तर कटैया प्रखंड की पुरीख निवासी संगीता कुमारी विगत दो दशक से निरक्षर महिला-पुरुषों के बीच अक्षरज्ञान बांट रही है। उनके प्रयास से पुरीख और अगल-बगल के गांवों में चार सौ से अधिक निरक्षर लोगों को लिखना-पढ़ना सीखा चुकी है। संगीता ने इन नवसाक्षरों का स्वयं सहायता समूह गठित कर बैंक से ऋण दिलाया। फलस्वरूप दर्जनों लोग इसके माध्यम से अपना रोजगार खड़ा कर बेहतर तरीके से परिवार की परवरिश भी कर रहे हैं। अपने कार्यकलाप के कारण संगीता समाज में काफी लोकप्रिय हो चुकी है।
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नैहर में भी निरक्षरों को करती रही शिक्षादान
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संगीता अपनी शादी के पूर्व नैहर सुपौल जिले के प्रतापगंज प्रखंड अंतर्गत टेकुना गांव में अपनी सहेलियों के सहयोग से निरक्षर महिला-पुरुषों को ककहरा पढ़ाती। वर्ष 2003 में उनकी शादी सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड अंतर्गत पुरीख के अमरनाथ कुमार से हो गई। ससुराल आने के बाद उन्होंने परिवार के सदस्यों से अपनी रूचि बताई। परिवार के लोगों और पंचायत के मुखिया के सहयोग से उसने पुरीख के रामटोला में निरक्षर महिला-पुरुषों को पढ़ाना प्रारंभ किया। बाद में पोठिया, कुम्हराघाट आदि में भी निरक्षर महिला को लिखना-पढ़ना सिखाया।
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नवसाक्षरों का बनाया गया स्वयं सहायता समूह
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संगीता जहां वर्ष 2009 से अनवरत गांव की निरक्षर महिला-पुरुषों को अक्षरज्ञान दे रही हैं, वहीं नवसाक्षरों का स्वयं सहायता समूह भी गठित किया। इनलोगों को समूह के माध्यम से जीविकोपार्जन के लिए ऋण प्राप्त हुआ और कई परिवार का बेहतर तरीके से परवरिश हो रही है। गांव की रेशम देवी अदौरी बनाकर बेचती और इससे उनके परिवार का परवरिश होती है। उनका कहना है कि संगीता ने न सिर्फ अक्षरज्ञान दिया बल्कि जीने की राह भी दिखाई। रामटोला की सुभद्रा देवी बकरी पालन कर रही हैं और पोठिया की रामबती सब्जी की खेती कर रही है। इनलोगों का कहना है कि संगीता के प्रयास से जीने की नई राह मिली है। इधर संगीता अपने दो बच्चों का लालन-पालन करने के साथ अपनी सामाजिक जिम्मेवारी निभा रही है। उनका कहना है कि जबतक शरीर में ताकत रहेगी, उनका सामाजिक अभियान जारी रहेगा।