कोरोना ने उजाड़ दिया हंसता-खेलता परिवार

सहरसा। कोरोना की दूसरी लहर ने हंसते-खेलते एक परिवार पर कहर ढा दिया। तीन मासूम बच्चों के सिर से जहां पिता का साया उठ गया वहीं पत्नी इस सदमे से उबर नहीं पा रही है। प्रखंड के पंचगछिया के निवासी स्वर्गीय सुरेन्द्र नारायण सिंह के 41 वर्षीय पुत्र मुकेश कुमार सिंह पुरीख पंचायत में संचालित सीएसपी संचालक थे जो कोरोना से जंग लड़ते हुए गत 19 मई को जिदगी की जंग हार गए।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 06:09 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 07:23 PM (IST)
कोरोना ने उजाड़ दिया  हंसता-खेलता परिवार
कोरोना ने उजाड़ दिया हंसता-खेलता परिवार

सहरसा। कोरोना की दूसरी लहर ने हंसते-खेलते एक परिवार पर कहर ढा दिया। तीन मासूम बच्चों के सिर से जहां पिता का साया उठ गया, वहीं पत्नी इस सदमे से उबर नहीं पा रही है। प्रखंड के पंचगछिया के निवासी स्वर्गीय सुरेन्द्र नारायण सिंह के 41 वर्षीय पुत्र मुकेश कुमार सिंह पुरीख पंचायत में संचालित सीएसपी संचालक थे जो कोरोना से जंग लड़ते हुए गत 19 मई को जिदगी की जंग हार गए।

गत आठ अप्रैल को पुरीख पंचायत में संचालित एसबीआइ के ग्राहक सेवा केंद्र में ड्यूटी कर देर शाम पंचगछिया स्थित अपने घर लौटे। चेहरे पर थकान के भाव महसूस कर पत्नी ने कहा कि तबीयत ठीक नहीं लग रही है। दोनों बेटियां एवं पुत्र सो चुका थे। पत्नी ने उन्हें खाना खिलाया। बिस्तर पर लेटते ही पत्नी ने उनके माथे पर हाथ रखा तो शरीर तप रहा था तो उन्हें बुखार की गोली खिला दी, लेकिन नौ अप्रैल को फिर से बुखार ने जोर पकड़ लिया। जांच कराने पर कोरोना पॉजिटिव निकला। 11 अप्रैल को पूर्णिया के मैक्स अस्पताल में दिखाया। तथा दूसरे दिन 12 अप्रैल को मधेपुरा मेडिकल कॉलेज मधेपुरा आकर जांच कराने के बाद सूर्या हॉस्पिटल में भर्ती हो गये। सूर्या हॉस्पिटल में सात दिनों तक इलाजरत रहने के बाद चिकित्सकों के सलाह पर 20 अप्रैल को अपने घर पंचगछिया में होम क्वारंटाइन हो गये। मगर ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। उनकी सांसें 19 मई को थम गई।

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तीन बच्चों के परवरिश की सता रही हैं चिता

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सीएसपी संचालक मुकेश सिंह की मौत के बाद पत्नी मुन्नी देवी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। 13 वर्षीय पुत्री तन्नू कुमारी एवं 11 वर्षीय राजनंदिनी कुमारी तथा नौ वर्षीय पुत्र सूरज के परवरिश की जिम्मेदारी भी उसके कंधों पर आ गई है। मुन्नी ने बताया कि पति द्वारा किए गए उपार्जन से ही परिवार का भरण-पोषण चलता था, मगर पति के मौत के बाद भरण- पोषण, बेटियां की शादी, बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की चिता उसे बता रही है।

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नहीं भुला पा रहे हैं मुकेश को ग्रामीण

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शांत स्वभाव एवं मृदुभाषी होने के कारण मुकेश सबों के चहेते बने हुए थे। सामाजिक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने एवं ईमानदारीपूर्वक कार्य करने के कारण ही उन्हें बैंककर्मियों समेत पुरीखवासी दिलों जान से चाहते थे। जिला पार्षद प्रियंका आनंद, पूर्व पार्षद प्रवीण आनंद, मुखिया रोशन सिंह कन्हैया समेत ग्रामीणों ने कोरोना से हुए मुकेश की मौत पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए पीड़ित स्वजनों को सरकारी सहायता दिलाने की मांग जिला प्रशासन एवं बिहार सरकार से किया है।

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