स्कूल बंद रहने से चौपट हो रहा छात्र-छात्राओं का भविष्य

सहरसा। कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा कुप्रभाव शिक्षण व्यवस्था पर पड़ा है। पिछले एक वर्ष से बा

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 06:24 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 06:24 PM (IST)
स्कूल बंद रहने से चौपट हो 
रहा छात्र-छात्राओं का भविष्य
स्कूल बंद रहने से चौपट हो रहा छात्र-छात्राओं का भविष्य

सहरसा। कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा कुप्रभाव शिक्षण व्यवस्था पर पड़ा है। पिछले एक वर्ष से बाधित शिक्षण कार्य धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा था। बच्चे सहित अभिभावक खुश थे कि अब बच्चे स्कूल जाकर पढ़ाई कर पा रहे हैं, लेकिन यह खुशी लोगों को कुछ दिन ही मिल पाई। सरकारी स्कूलों में तो कोरोना काल में बंद पड़े स्कूल को लेकर राज्य सरकार के निर्देश पर वर्ग एक से लेकर आठवीं तक के बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया लेकिन निजी विद्यालयों में यह व्यवस्था नहीं थी। वहां मार्च माह में ही वार्षिक परीक्षा ली गयी थी और एक अप्रैल को परिणाम देने के बाद तीन अप्रैल से स्कूल खोल दिया गया था। लेकिन तीन अप्रैल की शाम ही चार अप्रैल से 11 अप्रैल तक सरकारी व निजी स्कूलों व कालेजों को बंद करने का निर्देश मिल गया। इसके बाद स्वत: जिले के तमाम सरकारी और निजी स्कूल, कॉलेज और कोचिग संस्थान बंद हो गए। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए आगामी 18 अप्रैल तक सरकारी और निजी स्कूलों को बंद करने का निर्देश दिया। जिले में सरकारी और निजी स्कूलों के बंद रहने से छात्र-छात्राओं का भविष्य चौपट होने लगा है। अप्रैल माह से ही नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ। कोरोना संक्रमण के बढते खतरे एवं छात्र-छात्राओं के जान की सुरक्षा को लेकर सरकारी सहित निजी विद्यालयों को पूरी तरह बंद कर दिया गया । जिले में 1275 प्रारंभिक स्कूलों की संख्या है और करीब 600 से अधिक निजी विद्यालय संचालित है।

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स्कूल संचालकों के समक्ष आर्थिक संकट

इस निर्देश के बाद स्कूल संचालकों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है। जिले में निजी स्कूलों की संख्या 600 से अधिक है। इसके संचालकों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गयी है कि आखिर स्कूल बंद रहने की स्थिति में किराए के मकान में संचालित स्कूलों का किराया सहित बिजली बिल, स्टाफ का वेतन सहित अन्य खर्च की भरपाई कहां से होगी? यही सवाल स्कूल संचालकों को खाए जा रहा है। पिछले एक वर्ष तक स्कूल बंद रहने से पहले से ही संचालकों के समक्ष आर्थिक संकट था। इधर दो महीने से स्कूल खुलने के दौरान स्कूल संचालकों ने राहत की सांस ली थी। लेकिन अब फिर से स्कूल बंद करने की घोषणा से संचालकों के समक्ष आर्थिक परेशानी शुरू हो गई है।

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कोट

-राज्य सरकार के निर्देश पर सरकारी और निजी विद्यालयों को बंद किया गया है। कोरोना संक्रमण को लेकर यह कदम उठाया गया है। 11 अप्रैल तक स्कूल बंद करने की अवधि का विस्तार करते हुए 18 अप्रैल तक कर दिया गया है।

सुनील कुमार, प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी

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