कोसी से नहीं मिट रहा बाल मजदूरी का दाग

सहरसा। बाढ़ प्रभावित कोसी प्रमंडल बाल-बंधुआ मजदूरी का सघन क्षेत्र माना जाता है। वर्ष 1984 में

By JagranEdited By: Publish:Thu, 11 Jun 2020 06:32 PM (IST) Updated:Thu, 11 Jun 2020 06:32 PM (IST)
कोसी से नहीं मिट रहा बाल मजदूरी का दाग
कोसी से नहीं मिट रहा बाल मजदूरी का दाग

सहरसा। बाढ़ प्रभावित कोसी प्रमंडल बाल-बंधुआ मजदूरी का सघन क्षेत्र माना जाता है। वर्ष 1984 में तटबंध टूटने के बाद यह सिलसिला प्रारंभ हुआ जो सरकार व श्रम विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां जिला मुख्यालय में प्रशासनिक अधिकारियों के नाक तले होटल, गैराज और अन्य जगहों पर बाल मजदूर अपने नन्हें हाथों से काम कर अपनी जिदंगी व सपने को जला रहे हैं, वहीं दलालों के चंगुल में फंसकर प्रतिदिन सहरसा समेत मधेपुरा व सुपौल जिले के बच्चे पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न प्रांतों में जाकर बंधुआ मजदूर के रूप में अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। पहले दलाल अशिक्षित और गरीब लोगों को चिकनी-चुपड़ी बातों में फंसाकर बच्चे को बाहर पहुंचा देते हैं और वर्षों बीत जाने के बाद जब बाहर से नहीं आते, तो दलाल कोई संतोषजनक जबाव देने के बजाय पल्ला झाड़ लेता है। ऐसे में कई बच्चे किसी तरह भाग कर अथवा स्वयंसेवी संस्थाओं और प्रशासन के सहयोग से चले भी आते हैं, परंतु कई बचपन से जवानी तक दूसरे प्रदेशों में अपनी जिदगी बंधुआ मजदूर के रूप में गुजारते रह जाते हैं।

--------------------------अबतक 27 सौ बच्चों को कराया गया मुक्त

वर्ष 1984 से शुरू हुआ बच्चों का पलायन रूकने का नाम नहीं ले रहा है। बचपन बचाओ आंदोलन, चाईल्ड लाईन समेत अन्य संस्थाओं के प्रयास से जिले के अंदर और दूसरे प्रदेशों के चूड़ी, पटाखा, कालीन उद्योग, बिस्कोमान केन्द्रों से अबतक लगभग 27 सौ बच्चों को मुक्त कराया गया। लेकिन इस धंधे में लिप्त दलाल किस्म के लोग गरीब बच्चों के माता- पिता को लुभावनी बातों में फंसाकर अभी भी धोखे से लेकर चले जाते हैं।

------------------------मुक्त बंधुआ मजदूरों का नहीं हो पाता पुनर्वास

सरकार ने मुक्त बंधुआ मजदूरों को पुनर्वासित करने के लिए बीस हजार सरकारी सहायता के अलावा, बासडीह जमीन, आवास की सुविधा समेत अन्य सहायता देने का प्रावधान किया है। परंतु मुक्ति प्रमाणपत्र नहीं मिल पाने के कारण बंधुआ मजदूरों को यह सुविधा नहीं मिल पाती है। दूसरी ओर जिन लोगों को मुक्ति प्रमाणपत्र उपलब्ध भी है, उसे भुगतान के नाम पर बेवजह दौड़ाया जाता है। बचपन बचाओ आंदोलन के प्रदेश पुनर्वास संयोजक घुरण महतो कहते हैं कि जिले के 317 मुक्त बाल- बंधुआ मजदूर पुनर्वास की राशि के भटक रहे हैं।

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