मिथिला पेंटिग्स कोसी मलवरी से तैयार साड़ी का होगा आकर्षण

सहरसा। मुख्यमंत्री कोसी मलवरी परियोजना के तहद रेशम उत्पादन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। अब बिहार में कोसी मलवरी अपना जलवा बिखरेगा। बाजार की समस्या का समाधान करते हुए चालू वित्तीय वर्ष में ग्रामीण विकास विभाग और के संयुक्त प्रयास से जिले के 918 महिला किसानों को इस कार्य में लगाया गया है। अगले वर्ष से इस इलाके में न सिर्फ बड़े पैमाने पर मलवरी की खेती की जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Sep 2021 05:58 PM (IST) Updated:Mon, 06 Sep 2021 05:58 PM (IST)
मिथिला पेंटिग्स कोसी मलवरी से 
तैयार साड़ी का होगा आकर्षण
मिथिला पेंटिग्स कोसी मलवरी से तैयार साड़ी का होगा आकर्षण

सहरसा। मुख्यमंत्री कोसी मलवरी परियोजना के तहद रेशम उत्पादन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। अब बिहार में कोसी मलवरी अपना जलवा बिखरेगा। बाजार की समस्या का समाधान करते हुए चालू वित्तीय वर्ष में ग्रामीण विकास विभाग और के संयुक्त प्रयास से जिले के 918 महिला किसानों को इस कार्य में लगाया गया है। अगले वर्ष से इस इलाके में न सिर्फ बड़े पैमाने पर मलवरी की खेती की जाएगी। इस क्षेत्र में उत्पादित रेशम का उपयोग मुख्य रूप से साड़ी निर्माण में किया जाएगा जिसका मुख्य आकर्षण मिथिला पेंटिग्स होगा। किशनगंज स्थित रिलिग प्लांट में कुकून से रेशम का धागा निकाले जाने के बाद तैयार साड़ी पर मधुबनी पेंटिग्स की कलाकृति के साथ इसे देश और विदेश के बाजारों में भेजा जाएगा। यह उम्मीद की जा रही है कि मिथिला पेंटिग्स की कलाकृति के कारण बाजार में इसकी काफी मांग होगी। इसके लिए जोरशोर से तैयारी शुरू कर दी गई है।

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शहतूत उत्पादन के महिला किसानों को दिया गया प्रशिक्षण

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कोसी मलवरी परियोजना के तहत सहरसा जिले की चयनित सभी 918 महिला किसानों को खेती हेतु प्रशिक्षण दिया गया है। सभी महिला किसानों द्वारा प्रथम चरण में आधा-आधा एकड़ में शहतूत की खेती की जा रही है। इन महिला किसानों को रेशम बोर्ड द्वारा 2750 पौधों के प्रति महिला को मुफ्त उपलब्ध कराया गया है। कुकून की बिक्री की समस्या दूर करने के लिए जीविका के उत्पादकता समूह को इसकी जिम्मेवारी सौंपी गई है, जो महिला किसानों के घर से ही खरीद की जाएगी। खेती के लिए महिला किसानों को अन्य सुविधाएं भी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।

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कुकून बिक्री पर मिलेगा न्यूनतम समर्थन मूल्य

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रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कुकून की बिक्री के लिए धान और गेहूं की तरह इसका भी न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर दिया है, ताकि किसानों को किसी भी हाल में यह घाटे का सौदा नहीं हो। उत्पादक समूह कुकून खरीद कर इसका किशनगंज में रिलिग करवाकर इसे मधुबनी भेजेगा, मधुबनी पेंटिग्स की कलाकृति के साथ रेशम की साड़ियां व स्टाल देश व विदेश के बाजार में भेजी जाएगी।

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कोसी मलवरी परियोजना के तहत सहरसा जिले की जीविका दीदियों को खेती से जोड़ा गया है। इस वर्ष प्रशिक्षित 918 दीदियां मलवरी की खेती कर रही है। आनेवाले दिनों में इसकी खेती से बड़ी संख्या में महिला किसानों के जुड़ने की संभावना है। मलवरी उत्पादन इस इलाके के किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित होगा।

राजेश कुमार सिंह, डीडीसी, सहरसा।

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