ऐसा प्रतिनिधि बनें जो पंचायत को दिलाए पहचान
सहरसा। पंचायत चुनाव की तारीख नजदीक आते ही पंचायतों में चुनावी तापमान गरमाने लगा है। मतदाता भी अपने प्रत्याशियों को कसौटी पर तोलने में लगे हैं। प्रखंड का पस्तवार पंचायत जहां प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है। वहां की जनता ऐसे प्रतिनिधि का चुनाव करना चाहती है जिससे पंचायत की अलग पहचान बन सके।
सहरसा। पंचायत चुनाव की तारीख नजदीक आते ही पंचायतों में चुनावी तापमान गरमाने लगा है। मतदाता भी अपने प्रत्याशियों को कसौटी पर तोलने में लगे हैं। प्रखंड का पस्तवार पंचायत जहां प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है। वहां की जनता ऐसे प्रतिनिधि का चुनाव करना चाहती है जिससे पंचायत की अलग पहचान बन सके।
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क्या कहते हैं वोटर
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फोटो: 17 एसएआर 9
पंचायत प्रतिनिधि के रूप में ऐसे प्रत्याशी का चुनाव इसबार किया जाएगा जो पंचायत को पहचान दिला सके।
महेन्द्र झा
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फोटो: 17 एसएआर 10
पंचायत प्रतिनिधि पंचायत के आदर्श होते हैं इसलिए प्रतिनिधि के रूप में साफ चरित्र, कुशल नेतृत्व क्षमता, योग्य और कर्मठ प्रत्याशी को पंचायत का चुनाव होगा।
बुचन राम
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फोटो: 17 एसएआर 11
भगवान भास्कर की इस पवित्र भूमि से ही इस पंचायत की पहचान है। सेवा की भावना रखने वाला प्रत्याशी ही पस्तवार पंचायत की कमान संभाले इसके लिए मतदान किया जाएगा।
प्रदीप साह
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फोटो : 17 एसएआर 12
ऐसे प्रतिनिधि का चुनाव किया जाएगा जिसपर पंचायत के लोगों को गर्व हो। बिना भेदभाव के पंचायत का विकास कार्य को आगे बढ़ा सके।
शिवेश महतो
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संसू, सत्तरकटैया (सहरसा): 20 अक्टूबर को पंचायत चुनाव के लिए मतदान होना है जिसके कारण प्रत्याशी परदेश में रह रहे वोटरों से संपर्क साधकर यही कह रहे हैं घर आ जाइए आपकी जरूरत अभी गांव में है। मुखिया, पंचायत समिति एवं जिला परिषद चुनाव के प्रत्याशी परदेसी वोटरों के आने और जाने के लिए रेल के टिकट भी भेज रहे हैं। महानगरों में रहने वाले मतदाताओं को बसों के किराए के साथ कुछ और और रुपये भेज रहे हैं। वैसे परदेशी वोटर के गांव में रहने वाले लोग इस हमदर्दी को खास नहीं मान रहे हैं। इधर, एक-एक वोट के लिए प्रत्याशी जोर लगा रहे हैं। वैसे कई लोग तो दुर्गापूजा के मौके पर पहुंच गये हैं। जबकि कुछ को आगे आने वाले पर्व की भी दुहाई प्रत्याशी दे रहे हैं। प्रत्याशी उनके खर्चे पर आने और दिवाली, छठ मनाने का आग्रह कर रहे हैं।
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प्रचार तंत्र का लोगो
संसू, नवहट्टा (सहरसा) : प्रखंड में अंतिम चरण में पंचायत चुनाव होना है। इसके बावजूद चुनाव को लेकर आम लोगों के साथ ही राजनीतिक दलों से सरोकार रखनेवाले लोगों की सक्रियता बढ़ गई है। भले ही पंचायत चुनाव का आधार दलीय नहीं है बावजूद इसके विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपने समर्थकों को मैदान में उतारने की कवायद में जुट गए हैं।
गांव की सरकार में पर्दे के पीछे से राजनीतिक दल अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाह रही है। जिला परिषद, मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति से लेकर वार्ड सदस्य के पद के लिए प्रयास शुरू है। यही वजह है कि हाल के दिनों में दलीय राजनीति से जुड़े लोगों का समर्थन एवं दल के प्रति जातीय गोलबंदी का लाभ लेने के लिए कई संभावित प्रत्याशी दलीय नेताओं के कार्यक्रम या दल की सदस्यता लेने में रुचि रखने लगे हैं। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो किसी खास राजनीतिक दल के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं लेकिन पंचायत चुनाव के संभावित क्षेत्र में उस दल की जनाधार की कमी को देख अपनी प्रतिबद्धता को भूलने का भी प्रयास कर रहे हैं।