बंगाल के नवाब मीर कासिम से जुड़ा है कासिमपुर का नाम

सहरसा। कहते हैं बंगाल के नवाब मीर कासिम अंग्रेजी शासन के आक्रमण से घबराकर मुंगेर को अपना राजधानी बना

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 07:00 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 07:00 PM (IST)
बंगाल के नवाब मीर कासिम 
से जुड़ा है कासिमपुर का नाम
बंगाल के नवाब मीर कासिम से जुड़ा है कासिमपुर का नाम

सहरसा। कहते हैं बंगाल के नवाब मीर कासिम अंग्रेजी शासन के आक्रमण से घबराकर मुंगेर को अपना राजधानी बनाया तथा वहां गंगा तट पर किला का निर्माण कराकर रहने लगे। इसी दौरान सप्तकोशी की बाढ़ लोगों को तबाह और बर्बाद कर रही थी। नवाब ने अपने मंत्री को इस इलाके भेजा था। इसकी वजह से तटबंध किनारे लगभग चार किलोमीटर की लंबाई में फैले पंचायत का नाम कासिमपुर पड़ा।

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1984 में तटबंध टूटने से कई गांव का ही हुआ पलायन

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पूर्वी कोसी तटबंध निर्माण के दौरान कासिमपुर पंचायत से जुड़े गांव तटबंध के बाहर बसे थे। तटबंध के अंदर और तटबंध निर्माण के बीच पड़ने वाले गांव को सरकार ने पुनर्वासित कर तटबंध के बाहर बसाया गया। 1984 हेमपुर के समीप तटबंध के टूटने के बाद बांध के बाहर बसे गांव में कई का अस्तित्व मिट गया। कोसी नदी को घेरने के लिए एक बार फिर कोसी क्लोजर बांध का निर्माण किया गया जिससे बचे हुए लोग को भी अपना घर बार उजाड़कर क्लोजर बांध के बाहर एक बार फिर स्थानांतरित होकर बसना पड़ा।

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17 वार्ड में बंटा है पंचायत

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तटबंध किनारे लगभग चार किलोमीटर की लंबाई में बसा पंचायत 17 वार्ड में बंटा हुआ है। कासिमपुर, परूहर त्रिखुटी, बलीगांव, चतरा, ढोलमन, धर्मपुर, हेमपुर, पुरूषोत्तमपुर, गोड़पारा आदि गांव है। प्रखंड मुख्यालय से महज एक किलोमीटर दूर पंचायत की सीमा शुरू हो जाती है। उत्तर में सुपौल जिले का सिहे एवं बकौर दक्षिण में नवहट्टा पुरब में सुपौल जिले का कटैया, बैरो एवं ब्रह्मापुर पश्चिम में हाटी केदली एवं बलखाती कोशी नदी और बांध है।

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अध्यात्म से लोगों का है लगाव

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कोसी के प्रकोप से बचने और कल्याण हेतु ग्रामीणों का आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ा हुआ है। धर्मपुर में काली मंदिर आध्यात्मिक केंद्र बिदू बना हुआ है। ढोलमन के ज्वालामुखी मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। यहां के पुजारी लालो पंडित बताते हैं यहां मानी गई मनोकामनाएं पूरी होती है।

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प्रमुख शख्सियत

काशीमपुर के परूहर निवासी ललन कुमार वर्मा की पत्नी डा. शेफालिका वर्मा मैथिली और हिदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। स्मृति रेखा, विप्रलब्धा, एकटा आकाश, ठहरे हुए पल, यायावरी समेत कई रचनाएं लिखी। किस्त किस्त जीवन के लिए 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मैथिली के लिए काव्य विनोदनी अवार्ड समेत कई पुरस्कार और सम्मान। श्रीमती वर्मा भारत की पहली महिला थीं जिसे लंदन में आयोजित एमसीएसयू के समारोह में मुख्य अतिथि बनने का सौभाग्य मिला।

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पंचायत एक नजर में

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जनसंख्या 15हजार 823

मतदाता 9 हजार 6 सौ

प्राथमिक विद्यालय -6

मध्य विद्यालय-3

उत्क्रमित उच्च विद्यालय -1

स्वास्थ्य उपकेंद्र - 1

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