किसानों के खेतों तक संदेश पहुंचा रहे हैं प्रत्याशी
सहरसा। पंचायत चुनाव की सरगर्मी चारों ओर है। लेकिन इन दिनों जनप्रतिनिधि बनने की दौड़ में जुटे प्रत्याशी के समक्ष काफी परेशानी हो रही है।
सहरसा। पंचायत चुनाव की सरगर्मी चारों ओर है। लेकिन इन दिनों जनप्रतिनिधि बनने की दौड़ में जुटे प्रत्याशी के समक्ष काफी परेशानी हो रही है। वो अपने ही पंचायत के वोटरों से मुखातिब नहीं हो पा रहे हैं। थक हारकर भावी जनप्रतिनिधि की दौड़ में शामिल प्रत्याशी अपने चहेते किसान मजदूर के माध्यम से ही काम चला रहे हैं और खेत में ही संदेशा भिजवा रहे हैं।
गांव की सरकार में किसानों या फिर मजदूर दोनों का महत्व काफी अहम है, लेकिन इनदिनों ये लोग खासे व्यस्त हैं। इनके पास दूसरे के लिए तो छोड़िए खुद के लिए भी समय नहीं है। मखाना पानी से निकालने का सीजन है। इन दिनों खेत धान की फसलों से लहलहा रहीं है। धान के खेतों में गाजर-घास उग आए हैं। उन गाजर घास को निकाले जाने का काम जोरों पर चल रहा है। किसान सुबह से लेकर शाम तक इन दिनों खासे व्यस्त हैं। किसानों के साथ उनके मजदूर भी इस काम में जुटे हैं। यहां तक किसानों के घर की महिलाएं भी अपने मजदूरों के लिए खाना बनाने और खिलाने में व्यस्त हैं। अपने-अपने पंचायत से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी गांव- गांव में घूम रहे हैं। पर समस्या यह आ रही है कि उन्हें उनके वोटर गांव में नहीं मिल रहे हैं। आधे से अधिक गांव के लोग खेतों में काम करते नजर आ रहे हैं। उनका गांव में जाना बेकार साबित हो रहा है। शाहपुर के अनिल मुखिया ने बताया कि इन दिनों खेत में काम अधिक हैं। किसान व उनके मजदूर खेत ही में सुबह से शाम तक भिड़े रहे हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में किसानों से मुलाकात प्रत्याशी को नहीं हो पा रही है। खरका तेलवा के विनोद मिस्त्री ने बताया कि खेती बाड़ी का समय है। प्रचार प्रसार की समस्या थोड़ी सी आ रही है। बकुनियां के देवेंद्र राय ने बताया कि कोसी उफान में कमी आई है। खेती पर ही सारा दारोमदार है। धान की खेती पर अभी जोर है। चुनाव में तो बस वोट डालना है। सभी प्रत्याशी एक ही जैसे हैं।