पहले सेवा को ही धर्म मानते थे जनप्रतिनिधि

सहरसा। 41 वर्षों तक सौरबाजार प्रखंड के अजगेबा पंचायत के मुखिया और 27 वर्षों तक सौरबाजार के प्रखंड प्रमुख रह चुके लक्ष्मी नारायण मंडल कहते हैं कि पहले निजी स्वार्थ नहीं रहता था।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 06:06 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 06:06 PM (IST)
पहले सेवा को ही धर्म 
मानते थे जनप्रतिनिधि
पहले सेवा को ही धर्म मानते थे जनप्रतिनिधि

सहरसा। 41 वर्षों तक सौरबाजार प्रखंड के अजगेबा पंचायत के मुखिया और 27 वर्षों तक सौरबाजार के प्रखंड प्रमुख रह चुके लक्ष्मी नारायण मंडल कहते हैं कि पहले निजी स्वार्थ नहीं रहता था। जनता की सेवा को धर्म माना जाता था, लेकिन अब चुनाव और बदले माहौल में जातपात और धर्म संप्रदाय की बातें होने लगी है। सेवा से अधिक स्वार्थ की पूर्ति की जाती है। बताया कि पहले के मुखिया पंचायत के हित में कोई फैसला लेते थे। मुखिया का निर्णय पंचायत के सभी लोगो को मान्य होता था। किसी तरह का निर्णय मुखिया सबको हित में रखकर लेते थे। अभी के समय में सबकुछ अलग हो गया है। पहले मुखिया के दरवाजे पर हर दिन गरीब लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाती थी। आर्थिक रूप से संपन्न एवं मजबूत लोगों को जनता मुखिया चुनती थी।

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1960 में पहली बार निर्विरोध बने थे मुखिया

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पूर्व प्रमुख लक्ष्मी नारायण मंडल पहली बार 1960 में निर्विरोध अजगेवा पंचायत के मुखिया निर्वाचित हुए थे। उसके बाद 1968 में फिर वे निर्विरोध मुखिया निर्वाचित हुए थे। 1978 में चुनाव के माध्यम से काफी मतों से मुखिया निर्वाचित हुए थे। मुखिया निर्वाचित होने के बाद 1978 में सौरबाजार प्रखंड के प्रखंड प्रमुख के रूप में निर्वाचित हुए थे। उस समय सौरबाजार प्रखंड में 28 पंचायत हुआ करता था। 22 वर्षो तक प्रमुख रहने के बाद 2001 के पंचायत चुनाव में अजगेबा पंचायत से पंचायत समिति सदस्य निर्वाचित होने के बाद फिर पांच वर्षों तक सौरबाजार प्रखंड के प्रखंड प्रमुख रहे थे। 2006 में सौरबाजार प्रखंड का प्रमुख पद आरक्षित होने के बाद से लक्ष्मी नारायण मंडल राजनीति से अलग होकर गांव में रहने लगे हैं। 1937 में पैदा हुये लक्ष्मीनारायण मंडल प्राथमिक विद्यालय अजगेबा से प्राथमिक षिक्षा प्राप्त कर मध्य विद्यालय सौरबाजार में सातवीं पास किया। उसके बाद 1958 में उच्च विद्यालय सौरबाजार से मैट्रिक पास किया। 1960 में टीपी कालेज मधेपुरा से इंटर पास कर राजनीति में आये और निर्विरोध मुखिया बनें।

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