किसान बिल के विरोध में निकाला गया प्रतिवाद मार्च

सहरसा। केद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून को किसान विरोधी करार देते हुए वामदलो

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 05:12 PM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 05:12 PM (IST)
किसान बिल के विरोध में 
निकाला गया प्रतिवाद मार्च
किसान बिल के विरोध में निकाला गया प्रतिवाद मार्च

सहरसा। केद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून को किसान विरोधी करार देते हुए वामदलों और महागठबंधन कार्यकर्ताओं ने बुधवार को शहर में प्रतिवाद मार्च निकाला। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला दहन किया गया। वीर कुंवर सिंह चौक से निकला प्रतिवाद मार्च थाना चौक, डीबीरोड होते ही शंकर चौक पर आकर समाप्त हो गया। शंकर चौक पर आंदोलनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पुतला दहन किया।

प्रतिवाद मार्च और पुतला दहन कार्यक्रम का नेतृत्व पूर्व राजद विधायक अरूण कुमार, सीपीएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य विनोद कुमार, सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद सदस्य ओमप्रकाश नारायण, भाकपा माले सचिव ललन यादव, राजद जिलाध्यक्ष मो. ताहीर, कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रो. विद्यानंद मिश्र, सीपीएम जिला सचिव रंधीर कुमार, सीपीआई जिला सचिव विजय यादव, सीपीएम नेता गणेश सुमन, मो. शमीम, डोमी पासवान, शिवानंद विश्वास, केशव कुमार, कुलानंद यादव, कृष्ण दयाल यादव, नसीम मिस्त्री, दुखी शर्मा, महेन्द्र शर्मा, माले नेता विक्की राम, अशोक यादव उर्फ बटन यादव, कुंदन कुमार, संतोष राम, एआइएसएफ नेता शंकर कुमार, राजद नेता गोविद दास तांती, गजेन्द्र यादव, ई. कौशल यादव, रामदेव शर्मा, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, जावेद अनवर चांद युवा नगर अध्यक्ष हनी चौधरी,कृष्ण मोहन चौधरी,मो. आजम, बिदल यादव आदि कर रहे थे। प्रतिवाद मार्च को संबोधित करते हुए वामदलों एवं महागठबंधन के नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कोरोना महामारी के दौर में तमाम लोकतांत्रिक व्यवस्था को तिलांजलि देते हुए अत्यंत विनाशकारी कृषि कानूनों को पारित किया। इससे देश के अन्नदाता पर भारी संकट आनेवाला है। कहा कि संसद से लेकर खलिहानों तक इस बिल के विरोध में प्रतिरोध फूट रहा है। नेताओं ने कहा कि पिछले दो महीने से पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर के अलावा देश के हर भाग के किसान आंदोलन पर उतारू हैं। आंदोलन लगातार तीक्ष्ण होता जा रहा है। कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की देशी- विदेशी कॉरपोरेट घरानों को सौंप रही है। जमीन समेत तमाम प्राकृतिक संसाधन भी कंपनियों के साथ सौंपा जा रहा है। नेताओं ने कहा कि बिहार के किसानों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद नहीं हो रही है। किसान बिचौलिया के हाथ औने- पौने कीमत पर धान बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। आंदोलनकारियों ने तीनों कृषि कानून को रद करने, संशोधित बिजली बिल 2020 की वापसी, किसानों के सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी करने की मांग की।

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