पंडुका पुल निर्माण से बिहार-झारखंड के आदिवासियों के बीच और प्रगाढ़ होगा संबंध

रोहतास। कहते हैं कि पुल सड़क केवल आवागमन का साधन ही नहीं होता बल्कि संस्कृतियों के आ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 11:48 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 11:48 PM (IST)
पंडुका पुल निर्माण से बिहार-झारखंड के आदिवासियों के बीच और प्रगाढ़ होगा संबंध
पंडुका पुल निर्माण से बिहार-झारखंड के आदिवासियों के बीच और प्रगाढ़ होगा संबंध

रोहतास। कहते हैं कि पुल सड़क केवल आवागमन का साधन ही नहीं होता बल्कि संस्कृतियों के आदान-प्रदान का भी बड़ा स्रोत होता है। पंडुका में सोन नदी पर पुल निर्माण के लिए निविदा निकलने के बाद बिहार-झारखंड के आदिवासियों के बीच सदियों से चला आ रहा बेटी-रोटी का संबंध और प्रगाढ़ होने के आसार बढ़ गए हैं। इस पुल का निर्माण हो जाने से 120 किलोमीटर की दूरी 20 किलोमीटर में बदल जाएगी। झारखंड राज्य के गढ़वा ,पलामू, लातेहार समेत अन्य जिलों में रोहतास जिला के नौहट्टा व रोहतास प्रखंड के लोगों को जाने आने में समय के साथ पैसे की भी बचत होगी। नौहट्टा से झारखंड राज्य के गढ़वा व डालटनगंज की दूरी 50 किलोमीटर हो जाएगी। साथ ही श्रीनगर की दूरी मात्र 15 किलोमीटर हो जाएगी। सोन नदी के उस पार के कई आदिवासी बहुल गांव ऐसे है, जहां डेहरी होकर जाने में दूरी 120 किलोमीटर तय करनी होती है।

नौहट्टा प्रखंड के पडुका के पास सोन नदी पर पुल निर्माण को ले पुल निर्माण निगम ने निविदा निकाल दी है। एक अरब 96 करोड़ 12 लाख रुपये की लागत से पुल निर्माण किए टेंडर निकलने से इस क्षेत्र की जनता की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा होने के आसार जग गए हैं। इकरारनामा से 24 माह के अंदर कार्य को पूरा कर लिया जाना है । पुल की देख रेख एवं मरम्मत कार्य दस वर्षो तक पुल निर्माण करने वाली कंपनी को ही करना है। बताया जाता है कि पुल निर्माण को ले स्थानीय सांसद छेदी पासवान लोकसभा में दो बार प्रश्न भी उठाए थे। साथ ही तत्कालीन केंद्रीय सड़क मार्ग निर्माण मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर पुल को इंटरस्टेट कनेक्टिविटी में जुड़वाने का भी कार्य किया था। हर चुनाव में पंडुका पुल इस क्षेत्र के लोगो का एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। पुल निर्माण से क्या है फायदा:

पुल निर्माण हो जाने से नौहट्टा एवं रोहतास प्रखंड के लोगों को झारखंड राज्य के गढ़वा पलामू लातेहार समेत कई जिलों में जाने पर दूरी 100 किलोमीटर कम हो जाएगी। फिलवक्त इन जिलों में जाने के लिए लोगों को डेहरी औरंगाबाद होते हुए जाना पड़ता है। पुल निर्माण हो जाने से पडुका गांव के निकट से उस पार झारखंड राज्य के गढ़वा जिला अंतर्गत श्रीनगर से भवनाथपुर की दूरी 35 किलोमीटर और डालटेनगंज की दूरी 50 किलोमीटर ही रह जाएगी। साथ ही श्रीनगर की दूरी मात्र 15 किलोमीटर हो जाएगी, जिससे आवागमन की काफी सुविधा हो जाएगी। सोन नदी के उस पार के कई गांव ऐसे है, जहां डेहरी होकर जाने में दूरी 120 किलोमीटर पड़ती है। पूर्व विधायक व जदयू नेता ललन पासवान कहते है कि इस पुल के निर्माण होने के बाद डेहरी से होकर महाराष्ट्र तक जाने वाली गाड़ियों का रूट बदल कर पंडुका के रास्ते मुंबई तक जाया जा सकेगा। इससे मुंबई की दूरी 700 किलोमीटर कम हो जाएगी। कहते है अधिकारी:

पुल निर्माण निगम के उप मुख्य अभियंता सुनील कुमार कहते है कि निविदा की सारी प्रक्रियाएं पूरी कर इस वर्ष के अंत तक पुल निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा। दो लेन का यह पुल झारखंड और बिहार को जोड़ने वाला सोन नदी पर पहला पुल होगा। इकरारनामा से 24 माह के अंदर निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा।

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