घरों में कैसे पहुंचे पानी, पाइप बना बच्चों का खिलौने
रोहतास। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल का जल उपलब्ध कराने की योजना को ले संबंधित अधिक
रोहतास। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल का जल उपलब्ध कराने की योजना को ले संबंधित अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं। अधिकारियों की लापरवाही व कार्य एजेंसी की मनमानी से योजना रास्ते में ही दम तोड़ने लगी है। लापरवाही का आलम यह कि घरों में पानी पहुंचाने के लिए लगी पाइप बच्चों के खिलौने बन गए हैं। जहां-तहां खुले में फेंकी गई पाइप को तोड़कर बच्चे अपने मनोरंजन के लिए उपयोग कर रहे हैं। चाहे ग्रामीण क्षेत्र हो या फिर शहरी क्षेत्र, कमोबेश योजना की स्थिति हर जगह एक जैसी ही दिख रही है। जनप्रतिनिधियों में जीच बरकरार :
हर घर नल का जल योजना के क्रियान्वयन को ले पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों में जीच बरकरार है। वार्ड प्रबंधन समिति के जिम्मे योजना क्रियान्वयन का जिम्मा होने के कारण खासकर वार्ड सदस्यों व मुखिया के बीच आपसी खींचतान बरकरार है। जिससे योजना है। शायद ही कोई ऐसा पंचायत या वार्ड होगा, जहां यह योजना पूरी तरह सफल हो पाई हो व उसका लाभ लोगों को मिल रहा। किसी तरह घरों तक पाइप तो पहुंच पाई है, लेकिन घरवालों को पानी नसीब नहीं हो पा रहा है। शहरी इलाकों में तो योजना की स्थिति और खस्ताहाल है। अधिकांश वार्डों के कई मुहल्लों व गलियों में आधी अधूरी पाइप बिछा सिर्फ औपचारिकता पूरी की जा रही है। गड़बड़ी करने वालों पर कसने लगा शिकंजा :
चाहे जनप्रतिनिधि हो या फिर सरकारी सेवक व कार्य एजेंसी, योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ी करने वाले लोगों पर सरकार का शिकंजा कसने लगा है। राशि ले कार्य पूरा नहीं कराने वालों पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है। पिछले दिनों ने सभी प्रखंडों में राशि प्राप्त कर हर घर नल का जल योजना का कार्य पूर्ण नहीं कराने वाले कार्य एजेंसी को वहां के बीडीओ द्वारा नोटिस भेज इसका वजह जानने का काम किया गया है। साथ ही जवाब संतोषजनक नहीं होने पर वित्तीय अनियमितता मान प्राथमिकी दर्ज करने की भी बात कही गई है। कहते हैं लोग :
सदर प्रखंड के मुरादाबाद पंचायत के वार्ड संख्या 13 के अशोक कुमार, उमेश राम, सत्येंद्र राम, सुनील राम, सखी साह समेत अन्य ग्रामीणों का कहना है कि मुखिया व वार्ड सदस्य के आपसी खींचतान की वजह से हर घर-नल का जल योजना मुकाम तक नहीं पहुंच पाई है। बिछी पाइप को भी बच्चे अब खिलौना के रूप में उपयोग करने लगे हैं। नाली-गली का निर्माण नहीं होने से गंदगी का अंबार भी लगा रहता है। जबकि समीप में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होता है, जहां बच्चे पढ़ने जाते हैं।