पहाड़ी गावों में 20 वर्षो के बाद विधानसभा चुनाव के लिए डाले गए वोट

नक्सल प्रभावित चेनारी विधानसभा के कैमूर पहाड़ी पर बसे कई गावों में बने बूथ पर 20 वर्ष बाद बुधवार को वोट डाले गए।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 02:36 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 02:36 PM (IST)
पहाड़ी गावों में 20 वर्षो के बाद विधानसभा चुनाव के लिए डाले गए वोट
पहाड़ी गावों में 20 वर्षो के बाद विधानसभा चुनाव के लिए डाले गए वोट

रोहतास। नक्सल प्रभावित चेनारी विधानसभा के कैमूर पहाड़ी पर बसे कई गावों में बने बूथ पर 20 वर्ष बाद बुधवार को वोट डाले गए। पहले यहा के मतदान केंद्रों को सुरक्षा कारणों से मैदानी भागों में स्थानातरित किया जाता था, लेकिन इस बार अधिकाश निर्धारित बूथों पर ही मतदान कराया गया।

कैमूर पहाड़ी पर बसे रेहल, शोली, नागाटोली, बभनतालाब, धनसा व तारडीह बूथ पर मतदान कराया जा रहा है। शोली बूथ पर कोरहास व पीपरडीह बूथ को स्थानातरित कर दिया गया है। वहीं, कुरियारी को तार डीह बूथ पर बुधुआ को मध्य विद्यालय धनसा केंद्र पर स्थानातरित किया गया है। अति नक्सल प्रभावित होने के कारण नक्सलियों द्वारा लोकसभा चुनाव के क्रम में वर्ष 2004 में मध्य विद्यालय धनसा को बम लगाकर उड़ा दिया गया था।साथ ही पोलिंग कराने गए बीएसएफ के जवानों पर नक्सलियों द्वारा रॉकेट लाचर से हमला किया गया था। तब से कैमूर पहाड़ी के सभी 11 मतदान केंद्रों को मैदानी इलाकों के मतदान केंद्रों पर स्थानातरित कर दिया जाता था। मतदाता एक दिन पूर्व ही आकर मतदान केंद्र पर डेरा जमा लेते थे।और मतदान की प्रतिशत महज पाच से दस फीसदी होता था।आज मतदाता सुबह से ही मतदान केंद्र पर पंक्ति में खड़े हैं।रेहल मतदान केंद्र के मतदाता सुदर्शन यादव कहते है कि अब हमलोग भी मुख्य धारा में हैं और अपने गाव में मतदान कर रहे हैं।वरना 1580 फीट की ऊंचाई से 15 किलोमीटर पहाड़ी रास्ते पैदल तय कर मतदान केंद्र पर जाना पड़ता था ।जोनहा गाव निवासी उप मुखिया रामप्रीत उराव कहते हैं कि 20 वर्षो बाद हमारी बेटी बहनें मतदान कर रही हैं। मतदान केंद्र नीचे होने के कारण हम लोग वोट डालने से वंचित हो जाते थे।

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