चाचा फग्गुमल के साथ हजरत शाहजलाल पीर के 354 साल की बेमिसाल दोस्ती की याद में मना उर्स
सासाराम संत चाचा फग्गुमल के अजीज दोस्त हजरत शाहजलाल पीर एक ही दिन इंतकाल हुआ था। उसी
सासाराम : संत चाचा फग्गुमल के अजीज दोस्त हजरत शाहजलाल पीर एक ही दिन इंतकाल हुआ था। उसी निर्वाण के याद में 354 साल से चली आ रही परंपरा को निभाते हुए शहर शाहजलाल पीर दरगाह पर उर्स मनाया गया । स्थानीय लोगों के अनुसार नौवें सिख गुरु गुरुतेग बहादुर का 1666 में सासाराम आगमन हुआ था। उनके गमन के कुछ ही दिनों बाद सिख धर्म अनुयायी चाचा फग्गुमल का निधन हो गया। जनश्रुतियों के अनुसार उसी दिन चाचा की मौत की खबर सुनते ही उनके अजीज मित्र हजरत शाहजलाल पीर का भी इंतकाल हो गया। उर्स के दिन हजरत शाहजलाल पीर के दरगाह और ऐतिहासिक गुरुद्वारा चाचा फग्गुमल साहिब जी को शाहजलाल पीर के कमेटी के द्वारा भव्य रूप से सजाया गया। इतिहासकारों के अनुसार एक ही दिन संत चाचा फग्गुमल का भी निर्वाण हुआ था। उर्स मेला का आयोजन हर साल किया जाता है। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने कहा कि शहर के सांप्रदायिक सौहार्द का मिसाल पेश करने वाली यह दोस्ती सदियों तक याद किया जाएगा। जिसमे शाहजलाल पीर के कमेटी के द्वारा हजरत साहब और चाचा जी के ऐतिहासिक दोस्ती को बरकरार रखने के लिए शहर के सिख भाइयों को भी आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर शाहजलाल पीर साहब के दरगाह पर हलवा प्रसाद की व्यवस्था सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी गुरुद्वारा चाचा फग्गुमल साहिब की ओर से की गई थी। कमेटी के साथ गुरुद्वारा की संगत इस उर्स मेले में शामिल रही। इस अवसर पर उर्स मेला में पधारने वाले लोगों को सिरोपा देकर सम्मानित भी किया गया। जत्थेदार सर्वजीत सिघ खालसा ने कहा कि दोस्ताना का यह स्वर्णिम इतिहास सासाराम के मस्तक ऊंचा करता है। मौके पर सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारियों एवं संगत को हजरत शाहजलाल पीर कमेटी ने हर साल की तरह इस साल भी बढ़-चढ़कर सहयोग करने के लिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर प्रधान सरदार सूचित सिंह, मंजीत सिंह, सरदार सुमेर सिंह, सरदार हरगोविद सिंह, सरदार चरणजीत सिंह, सरदार जामवंत सिंह, मोहित सिंह, मुस्लिम शाह, मोहम्मद इलियास खां, हसन निजामी, राज खां, अनवर शेख शम्मी खां, सेराज खां, मोहम्मद गुफरान खां, सरदार हरदीप सिंह समेत कई अन्य लोग उपस्थित थे।