गली-मोहल्लों में सफाई नहीं, कूड़ों का अंबार बरकरार
रोहतास सोनतटीय क्षेत्र वाले नासरीगंज प्रखंड क्षेत्र को केंद्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में फिसड्डी म
रोहतास : सोनतटीय क्षेत्र वाले नासरीगंज प्रखंड क्षेत्र को केंद्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में फिसड्डी माना गया है। सफाई के नाम पर नगर पंचायत द्वारा हर माह मोटी राशि खर्च की जा रही है, बावजूद जगह-जगह पड़े कूड़े के ढेर स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ा रहे हैं। हालात यह है कि जैसे- तैसे शहर के कुछ प्रमुख चौक- चौराहों से गंदगी उठाव की खानापूर्ति कर नपं प्रशासन ठोस पहल नहीं कर रहा है। निश्चित रूप से शहर को स्वच्छ रखने के लिए शहरवासियों का सहयोग अपेक्षित है, मगर इसके लिए नगर पंचायत ऐसी कोई पहल नहीं कर रही है। जिम्मेदार पदाधिकारी स्वच्छता आकलन के लिए शायद ही कभी शहर में निकल पाते हैं। ऐसे में 14 वार्डों वाले नपं क्षेत्र में सफाई के नाम पर एनजीओ द्वारा कागजी खानापूर्ति की जा रही है। प्रत्येक वार्ड में गंदगी से नालियां बजबजा रही हैं और सड़कों पर कूड़े बिखरे पड़े हैं। सफाई के प्रति किसी की नीयत ठीक नहीं
सफाई के नाम पर शहर में सुबह आधे घंटे के लिए तामझाम शुरू होता है। शहरवासियों की बार-बार शिकायत के बावजूद नगर पंचायत कर्मियों व अधिकारियों की नींद नहीं खुल रही है। लोगों का कहना है कि शहर में सरकार द्वारा दी जा रही राशि का नपं द्वारा जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है, जिसके चलते वे गंदगी के बीच जिदगी गुजारने को विवश हैं। नगर पंचायत का नहीं है अपना डंपिग प्वाइंट
शहर के कचरा को एक जगह डंप करने के लिए नगर पंचायत के पास अभी तक कोई डंपिग प्वाइंट नहीं है, जिसके चलते कचरे को वार्ड 13 के रिहायशी इलाके व अन्य जगह के सड़कों के किनारे फेंक दिया जाता है। उसके सड़ांध व दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो जाता है। सोन नदी में भी कूड़ा फेंक कर नदी को दूषित किया जा रहा है। हर माह साढ़े सात लाख रुपये हो रहे खर्च
नगर पंचायत के एक से 14 वार्डों की साफ सफाई के लिए प्रशासन द्वारा प्रत्येक महीने साढ़े सात लाख की राशि खर्च की जाती है। इसके बावजूद सभी वार्ड में कूड़ा कचरा का अंबार लगा रहता है। इतनी मोटी रकम खर्च होने के बाद भी शहर क्यों नहीं साफ हो रहा है, यह अपने आप मे एक बड़ा सवाल बन कर रह गया है। स्थानीय निवासी पंकज कुमार, सोनू आनंद, धर्मेंद्र कुमार, मुंशी मियां, मुन्ना कुमार, लाजवंती कुंवर, राधे श्याम, मुस्लिम समेत अन्य ने बताया कि यहां सफाई कार्य केवल कागजी खेल बनकर रह गया है। शहरवासी नारकीय जीवन जी रहे हैं, लेकिन सफाई ठेकेदार, विभागीय अधिकारी, एनजीओ व पार्षद की चांदी है। धुस चौक पर दिन भर धूल उड़ता रहता है। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के बाहर गंदी नाली का पानी बहता रहता है। शोभा की वसतु बना कूड़ा कंपोस्टिग केंद्र
धुस पर करोड़ों रुपये की लागत से बना कूड़ा कंपोस्टिग केंद्र शोभा की वस्तु बना हुआ है। वार्ड तीन स्थित जमा मस्जिद की गली में गंदी नालियों का पानी सालों भर बहता रहता है। महावीर मंदिर के समीप भी गंदगी का अंबार है, जिससे श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में प्रवेश करने में परेशानी होती है।
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रोस्टर बनाकर प्रत्येक वार्ड की सफाई करने का निर्देश एनजीओ को दिया गया है। सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए नगर पंचायत प्रशासन सदैव तत्पर है। मंदिर-मस्जिद के पास गंदगी की शिकायत मिली है, जिसे शीघ्र सफाई करा ली जाएगी। इधर-उधर कूड़ा नहीं फेंकने का सख्त निर्देश दिया गया है।
जुल्फेकार अली प्यामी, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, नासरीगंज