20 वर्षों बाद योगी के रूप में मां से भिक्षा मांगने पहुंचा पुत्र

रोहतास जिला अंतर्गत करगहर प्रखंड के गोगहरा गांव में एक अजीबोगरीब ²श्य देखने को मिला। जब 22 वर्षों बाद एक पुत्र योगी के रूप में मां से अंतिम भिक्षा मांगने दरवाजे पर पहुंचा। भिक्षा देते वक्त मां ने अपने लापता पुत्र को पहचान उसका वेश देख मूर्छित हो दरवाजे पर गिर पड़ी। यह ²श्य देख आसपास के लोग भी वहां जुट गए।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 10:40 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 10:40 PM (IST)
20 वर्षों बाद योगी के रूप में मां से भिक्षा मांगने पहुंचा पुत्र
20 वर्षों बाद योगी के रूप में मां से भिक्षा मांगने पहुंचा पुत्र

संवाद सूत्र, करगहर, रोहतास। रोहतास जिला अंतर्गत करगहर प्रखंड के गोगहरा गांव में एक अजीबोगरीब ²श्य देखने को मिला। जब 22 वर्षों बाद एक पुत्र योगी के रूप में मां से अंतिम भिक्षा मांगने दरवाजे पर पहुंचा। भिक्षा देते वक्त मां ने अपने लापता पुत्र को पहचान उसका वेश देख मूर्छित हो दरवाजे पर गिर पड़ी। यह ²श्य देख आसपास के लोग भी वहां जुट गए। गांव में तुरंत यह खबर फैल गई शंभू भगत योगी बनकर मां से भिक्षा मांगने आया है। योगी के सहपाठियों ने भी उन्हें पहचान कर कहा यह स्व. व्यास भगत के पुत्र शंभू भगत ही हैं।

ग्रामीण सह एसएन कालेज शाहमल देव खैरा छात्रसंघ के अध्यक्ष अमित कुमार पटेल ने बताया कि वर्ष 2000 में 12 वर्ष की अवस्था में शंभू भगत भटकते हुए कहीं चला गया। किसी तरह वह गोरखपुर पीठ पहुंच गए, जहां पीठाधीश के आशीर्वाद से दिमागी हालत बिल्कुल ठीक हो गई। सात-आठ वर्षों तक उन्हें गो सेवा में रखा गया। इसके बाद परंपरा के अनुसार सारंगी प्रदान की गई। वे गांव-गांव घूम घूमकर भिक्षा मांगना शुरू कर दिए। भिक्षाटन के एक साल बाद वे कुदरा प्रखंड के केवढी़ गांव पहुंचे थे। जहां एक महिला ने उन्हें पहचान लिया। इसकी सूचना उसने अपने मायके में दी। तबतक योगी वहां से चले गए थे। 12 वर्ष पूरा होने के बाद अंतिम भिक्षा मांगने के लिए अपनी मां के दरवाजा पहुंचे। भिक्षा मांगने की आवाज पर मां जैसे ही दरवाजा पर निकली, उसने अपने पुत्र शंभू को पहचान लिया। योगी के वेश में देख मूर्छित होकर दरवाजा पर गिर पड़ी। होश आने पर मां आंसू भरे नेत्रों से कह उठी, बेटा तू कहां थे तुझे खोजते खोजते आंख पथरा गई। योगी की आंखों में भी आंसू छलक पड़े। उसने विवश होकर सारी कहानी सुनाई। योगी के भाई दुलार भगत एवं गनपत भगत ने भी बात की। वह भी अपने भाई व सहपाठियों को पहचान नाम बताने लगे। तीन दिन रहने के बाद बुधवार को ग्रामीणों ने वाहनों के काफिले के साथ नम आंखों से कुदरा स्टेशन तक विदा किया। शंभू ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि उनकी तपस्या पूरी होने के बाद यज्ञ कराने के लिए वे अपने मठाधीश के साथ जन्मभूमि पर अवश्य आएंगे।

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