हर चुनाव में मिला आश्वासन, पर आज तक नहीं बनी सड़क
गत एक दशक से लंबित पड़े अमरातालाब-बभनपुरवा पथ की तस्वीर एक दशक में भी नहीं बदल सकी है। हालांकि इस बीच पहरुए बदलते रहे हैं। कानूनी दांव-पेंच में फंसे होने के कारण चार दशक पुरानी इस सड़क का निर्माण कार्य अबतक नहीं हो सका है।
धनंजय पाठक, सासाराम : गत एक दशक से लंबित पड़े अमरातालाब-बभनपुरवा पथ की तस्वीर एक दशक में भी नहीं बदल सकी है। हालांकि इस बीच पहरुए बदलते रहे हैं। कानूनी दांव-पेंच में फंसे होने के कारण चार दशक पुरानी इस सड़क का निर्माण कार्य अबतक नहीं हो सका है। यहां तक कि पीएमओ के पास भी इस सड़क के निर्माण कार्य को ले लोग शिकायत दर्ज करा चुके है।
पांच दर्जन गांवों की जीवन रेखा है सड़क :
सासाराम प्रखंड के आधा दर्जन से अधिक पंचायतों के पांच दर्जन गांवों लिए जीवन रेखा माने जाने वाले इस पथ के कायाकल्प करने को ले कई बार सरकार ने प्रयास तो किया, लेकिन आज यह सड़क पूरी तरह से राजनीति की भेंट चढ़ कर रह गई है। शायद यही कारण है कि 70 के दशक में अस्तित्व में आई इस सड़क का आजतक एक मुश्त निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। जब- जब कार्य प्रारंभ हुआ है, तब- तब निर्माण कार्य को ले कभी शिकायत तो कभी कोर्ट में मामला पहुंचता रहा है। एक अभियंता द्वारा अपनी बेटी की शादी दहेज स्वरूप दिए गए इस सड़क पर आज भी लोग हिचकोले खाते सफर करने को विवश रहते हैं। दो वर्ष पूर्व पीएमओ ने लिया था संज्ञान :
दो वर्ष पूर्व सदर प्रखंड के तिवारीडीह निवासी प्रभाकर तिवारी के आवेदन पर पीएमओ ने राज्य सरकार से अद्यतन स्थिति तलब करते हुए सड़क निर्माण की दिशा में उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था । जिस पर ग्रामीण कार्य विभाग ने अमरा- बभनपुरवा पथ निर्माण का मामला कोर्ट में लंबित होने की बात कह फिलहाल अपनी जवाबदेही से इतिश्री कर लिया । पीएमओ को भेजे जवाब में ग्रामीण कार्य प्रमंडल एक के कार्यपालक अभियंता ने कहा था कि नाबार्ड योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2007-08 में डेढ़ करोड़ की योजना स्वीकृत कर अनिल कुमार सिंह नामक संवेदक को ठेका दिया गया था। निर्माण कार्य को 27 नवंबर 2007 तक हर हाल में पूरा लेने का निर्देश दिया गया था। लेकिन क्षतिपूर्ति को ले ठेकेदार द्वारा कोर्ट व आरबिट्रेशन ट्रिब्यूनल में चुनौती देने के कारण नए सिरे से कार्य प्रारंभ कराना न्याय संगत नहीं है।