न सोख्ता न जलनिकासी, मोहल्लों की गलियों में घुटने भर पानी
सासाराम सच कहें तो नाम बड़े और दर्शन छोटे की बानगी है सासाराम नगर निगम। नगर परिषद से
सासाराम : सच कहें तो नाम बड़े और दर्शन छोटे की बानगी है सासाराम नगर निगम। नगर परिषद से भले नगर निगम में उत्क्रमित हो चुका है, लेकिन हालात बद से बदतर है। सासाराम शहर को ग्रीन से लेकर क्लीन बनाने की हर कवायद बेअसर दिख रही है। लिए हर बरसात में जल जमाव की गंभीर समस्या ने शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने की मुहिम पर ग्रहण लगा दी है।
जल निस्तारण के लिए शहर में 35 करोड़ की अधिक लागत से बनाए जा रहा अंडर ग्राउंउ सीवरेज सिस्टम फेज एक का काम पिछले तीन साल से अधिक समय से कच्छप गति से चल रहा है। बुडको के द्वारा बनाए जाने वाले भूमिगत नाला बनाने की अवधि विस्तार के बाद वर्ष 2021 के दिसंबर माह में पूरा हो जाने की बात कही जा रही है, लेकिन यह नगरवासियों के गले नहीं उतर रही है। जमीनी हकीकत यह है कि अभी भी फेज एक के तहत 30 प्रतिशत काम अधूरा है। वहीं दूसरे फेज के बनाए गए डीपीआर को कब अंतिम मंजूरी मिलेगी यह बताने में नगर निकाय के अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि भी सक्षम नहीं है। शहर के शांति प्रसाद जैन कालेज से लेकर बौलिया के अलावा शहर के कई अन्य हिस्सों में फेज दो के तहत अंडर ग्राउंड सीवेरज बनाया जाना है। शहर के गौरक्षणी इलाके में यह योजना अभी धरातल पर दिख ही नहीं रही है।
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हर साल बारिश के मौसम में शहर के जल निस्तारण व्यवस्था की पोल खोल कर रख देती है। मोहल्लों से लेकर शहर का व्यवसायिक इलाका वाला क्षेत्र धर्मशाला रोड़ से लेकर मदरसा रोड़ डूब जाता है। शहर के ऐतिहासिक स्थल तक पहुंचने वाले रौजा रोड़ तक अछूता नहीं है। शहर के गौरक्षणी स्थित प्रेमचंद पथ के अलावा यादव मोहल्ले में जलजमाव की समस्या बारहमासी बन कर रह गई है।
सुनील कुमार, गौरक्षणी कूड़ा डंपिग स्टेशन नहीं रहने से मोहल्लों, खाली पड़े मैदानों में कूड़े फेंके जाते हैं। कूड़ों के सड़ांध से लोगों का रहना मुश्किल हो जाता है। प्रविधानों के अनुसार शहरी क्षेत्र को कूड़ा डंपिग से मुक्त रखना है। फिलहाल नगर निगम प्रतिदिन जमा होने वाले कूड़ों का निष्पादन के लिए हर दिन एक नया ठिकाना तलाशता है।गैर जिम्मेवार अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधियों की तय करनी होगी जवाबदेही।
स्वाति कुमारी, तकिया