ट्रैफिक कंट्रोल के नाम पर सड़क पर उतरे नप कर्मी
रोहतास। जाम से निजात दिलाने और शहर में ट्रैफिक कंट्रोल के नाम पर शिकंजा कसने के दौर
रोहतास। जाम से निजात दिलाने और शहर में ट्रैफिक कंट्रोल के नाम पर शिकंजा कसने के दौरान शुक्रवार को नगर परिषद कर्मियों ने वकीलों के वाहनों को भी नहीं बक्शा। व्यवहार न्यायालय के गेट के पास खड़े कई अधिवक्ताओं के वाहनों का हवा निकाल दिया। इस दौरान मची आपाधापी के क्रम में सिविल कोर्ट के एक वरीय अधिवक्ता व पूर्व पीपी जेएन सिंह की कार का शीशा भी टूट गया। पार्किग के अभाव में कोर्ट गेट के आसपास वाहन खड़ा करने के लिए मजबूर वकीलों ने नप प्रशासन की इस कार्रवाई से भड़क उठे। वरीय अधिवक्ता जेएन सिंह के नेतृत्व में कई वकीलों ने इसकी शिकायत जिला जज राजेंद्र प्रसाद सिंह से करते हुए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
वकीलों की समस्या को ले जिला जज ने इस संबंध में डीएम से इस मसले पर चर्चा की। वकीलों का कहना है कि बिना पार्किग स्थल मुहैया कराए इस तरह की कार्रवाई करना न्याय संगत नहीं है। शुक्रवार को कमोबेश यहीं आलम शहर के रौजा रोड में भी देखने को मिला। गंभीर रोग का इलाज कराने आए कई मरीजों के वाहनों के चक्के की हवा निकाल दी गई। बाइकों को भी क्षतिग्रस्त किया गया। अधिवक्ताओं का कहना है कि नगर प्रशासन पहले शहर में पार्किग की व्यवस्था करे। अधिवक्ता हेमंत सिंह सवालिया अंदाज में कहते है कि पुराने बस पड़ाव से लेकर पोस्ट ऑफिस चौक के आसपास के फुटपाथ को आखिर किसकी मेहरबानी से ऑटो स्टैंड बना दिया गया है। बड़ी बसें गौरक्षणी ओवरब्रिज से ही सीधे बस पड़ाव के लिए टर्न ले रही है, जिसके कारण ओवरब्रिज ट्रैफिक फ्लो ठहरने से जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। शहर में यातायात दबाव को कम करने के लिए पुरान बस पड़ाव में कई रुटों की बस आने पर लगाई गई पाबंदी के बावजूद बसें क्यों पहुंच रही है। शहर में एक भी टेंपो व वाहन स्टैंड नहीं होने के बाद भी नगर परिषद लाखों रुपये की नीलामी किस स्थान के लिए कराता है और टेंपों ठहराव के नाम पर टैक्स क्यों ले रहा है। यह सब जानते हुए भी प्रशासन इसे नजरअंदाज किए हुए है। नप अपनी नाकामी का खीज अब आम लोगों पर मिटा रहा है। समाजसेवी सुभाष यादव कहते है कि फुटपाथ पर अतिक्रमण के लिए सीधे तौर पर नगर परिषद ही जिम्मेवार है।ठेला खोमचे वालों से प्रतिदिन टोकन काटकर नगर परिषद द्वारा पैसा वसूलता है, अगर फुटपाथ पर दुकान लगाने की अनुमति नहीं है तो उसे राजस्व संग्रह के नाम पर टोकन दे राशि क्यों ली जाती है।