इंद्रपुरी जलाशय निर्माण पर झारखंड ने जताई आपत्ति, उत्तर प्रदेश से मिली सहमति
नौहट्टा प्रखंड के मटियांव में झारखंड की सीमा पर सोन नदी में प्रस्तावित इंद्रपुरी जलाशय योजना (पूर्ववर्ती नाम कदवन जलाशय योजना) के निर्माण पर झारखंड सरकार ने आपत्ति जताई है। झारखंड ने डूब क्षेत्र के बहाने आपत्ति दर्ज की है जबकि उत्तर प्रदेश ने इस जलाशय के निर्माण पर पूर्व में ही सहमति दे दी है। वहीं जल संसाधन विभाग ने जलाशय निर्माण की तैयारी कर ली है। डीपीआर बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और प्री डीपीआर केंद्रीय जल आयोग को भेज दिया गया है। इसमें आयोग द्वारा कुछ बिदुओं पर की गई आपत्ति को भी दूर कर दिया गया है।
उपेंद्र मिश्र, डेहरी ऑनसोन : रोहतास। नौहट्टा प्रखंड के मटियांव में झारखंड की सीमा पर सोन नदी में प्रस्तावित इंद्रपुरी जलाशय योजना (पूर्ववर्ती नाम कदवन जलाशय योजना) के निर्माण पर झारखंड सरकार ने आपत्ति जताई है। झारखंड ने डूब क्षेत्र के बहाने आपत्ति दर्ज की है, जबकि उत्तर प्रदेश ने इस जलाशय के निर्माण पर पूर्व में ही सहमति दे दी है। वहीं जल संसाधन विभाग ने जलाशय निर्माण की तैयारी कर ली है। डीपीआर बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और प्री डीपीआर केंद्रीय जल आयोग को भेज दिया गया है। इसमें आयोग द्वारा कुछ बिदुओं पर की गई आपत्ति को भी दूर कर दिया गया है। वहीं अधिकारियों का भरोसा है कि जल्द ही झारखंड सरकार की आपत्ति भी दूर कर ली जाएगी।
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि झारखंड सरकार का कहना है कि इस जलाशय के निर्माण से उनका एक बड़ा क्षेत्र डूब जाएगा, जबकि जलाशय का लाभ बिहार को मिलेगा। यह मामला अभी केंद्रीय जल आयोग में लटका है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी पूर्व जताई थी आपत्ति:
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी जलाशय की ऊंचाई पर पूर्व में आपत्ति दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि जलाशय का लेवल 173 मीटर होने से डूब क्षेत्र बढ़ेगा। यूपी सरकार इसकी ऊंचाई 169 मीटर चाहती थी। बाद में केंद्रीय जल आयोग के हस्तक्षेप से 171 मीटर पर सहमति बनी। जिसके बाद यूपी सरकार ने अपनी आपत्ति वापस ले जलाशय निर्माण पर स्वीकृति प्रदान कर दी। चार दशक से लटकी है यह योजना:
1973 में वाणसागर समझौता के बाद बिहार में सोन नदी पर जलाशय निर्माण की सहमति बिहार, उत्तरप्रदेश व मध्य प्रदेश सरकार के बीच बनी थी। 1989 में कदवन जलाशय योजना के निर्माण को केंद्र से स्वीकृति मिली। 1990 चुनाव के पूर्व तत्कालीन मु़ख्यमंत्री ने झारखंड के कदवन गांव में इसका शिलान्यास भी कर दिया। 2000 में लालू प्रसाद सरकार में इस योजना का नाम इंद्रपुरी जलाशय योजना कर दिया गया, लेकिन इसके निर्माण पर चुप्पी साध ली। एनडीए सरकार ने लिया निर्माण का निर्णय:
राज्य में एनडीए सरकार के गठन के बाद इसके निर्माण पर कार्य प्रारंभ हुआ। 14 फरवरी 2018 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्माण स्थल मटियांव का दौरा कर अधिकारियों को डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया। विभागीय अधिकारियों के अनुसार इस वर्ष दिसंबर तक डीपीआर तैयार हो जाएगा । निर्माण से लाभ:
इंद्रपुरी जलाशय के निर्माण से 1872 में निर्मित सोन नहरों को जरूरत के अनुसार वर्ष भर पानी मिलेगा, जिससे सात जिलो में सिचाई सुविधा बहाल होगी। साथ ही 250 मेगावाट जल विद्युत भी मिलेगा। अभी सोन नहरें मध्य प्रदेश के बाणसागर जलाशय व उत्तर प्रदेश के रिहंद जलाशय से छोड़े जाने वाले पानी पर निर्भर हैं। कहते हैं अधिकारी:
इंद्रपुरी जलाशय के डीपीआर बनाने का कार्य दिसंबबर तक पूरी होने की संभावना है। सरकार से स्तर से झारखंड की आपत्तियों को दूर कर लिया जाएगा।
ओम प्रकाश, मुख्य अभियंता
जल संसाधन विभाग