बच्चों में बढ़ा मियादी बुखार का खतरा, स्वच्छता व जागरूकता है सबसे बड़ा इलाज
जिले में मियादी बुखार का संक्रमण बच्चों में सबसे अधिक हो रहा है। सरकारी अस्पताल से ले निजी अस्पतालों तक में इलाज के लिए भीड़ बढ़ गई है। केवल सदर अस्पताल में तीन सौ से अधिक बच्चों का इलाज प्रतिदिन किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, सासाराम : जिले में मियादी बुखार का संक्रमण बच्चों में सबसे अधिक हो रहा है। सरकारी अस्पताल से ले निजी अस्पतालों तक में इलाज के लिए भीड़ बढ़ गई है। केवल सदर अस्पताल में तीन सौ से अधिक बच्चों का इलाज प्रतिदिन किया जा रहा है। चिकित्सकों की मानें तो मियादी बुखार का खतरा कुपोषित बच्चों में सर्वाधिक रहता है। यह बीमारी साल्मोनोल टायफी नामक बैक्टिरिया से होता है। यह जानलेवा भी है। ऐसे में बुखार होने पर पोषण का ध्यान अत्यधिक देने की अधिक जरूरत होती है।
एसीएमओ व शिशु रोग विशेषज्ञ डा. अशोक कुमार सिंह की मानें तो कोरोना वायरस के समान मियादी बुखार भी एक संक्रामक रोग है जो गंदे खाने पीने की वस्तुओं के उपयोग से पनपता है 7 बच्चों में लगातार तेज बुखार आना, कमजोरी महसूस होना, पेट में या सिर में दर्द, भूख नहीं लगना या कम लगनाख् त्वचा पर चकते या गुलाबी धब्बे बनना जैसे लक्षण दिखे तो यह मियादी बुखार हो सकता है। इसमें बुखार एक सप्ताह या इससे अधिक समय के लिए रहता है। जिसके दौरान बच्चा कभी कभी बेहोश भी हो सकता है । इस बुखार में जरा भी लापरवाही इसे भयंकर रूप दे सकती है । इसलिए रोग की गंभीरता को देखते हुए बिना समय बर्बाद किए डाक्टर से परामर्श लें और अपने बच्चे को सुरक्षित रखें ।
स्वच्छता अपनाकर करें रोग पर वार :
एसीएमओ ने बताया मियादी बुखार आने के लिए जिम्मेदार साल्मोनेला टाइफी जीवाणु दूषित जल या उसके उपयोग से बना हुआ भोजन है। इसलिए इस संक्रमण से शिशु को बचाने के लिए अपने आस-पास की साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। दूषित जल जमाव ना होने दें । बच्चों के आहार में पोषक तत्वों पर दें विशेष ध्यान:
शरीर निरोग और स्वस्थ रहे7 इसके लिए आहार की गुणवत्ता का सबसे ज्यादा योगदान है। पोषक तत्वों और एंटी आक्सीडेंट हमें रोग से लड़ कर हराने की क्षमता भी देता है। इसलिए बच्चों के भोजन में हरी सब्जी, मौसमी फल, दूध और दूध से बना सामान, अंडा , मांस , मछ्ली , अंकुरित अनाज शामिल करें। मियादी बुखार में शरीर में पानी की मात्रा में कमी हो जाती है इसलिए पर्याप्त स्वच्छ जल और दूसरे प्राकृतिक पेय पदार्थ के सेवन करें।