रोहतास में खाद की किल्लत ने प्रखंड के किसानों की बढ़ाईं मुश्किलें

डेहरी प्रखंड में उर्वरक की किल्लत ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 11:52 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 11:52 PM (IST)
रोहतास में खाद की किल्लत ने प्रखंड के किसानों की बढ़ाईं मुश्किलें
रोहतास में खाद की किल्लत ने प्रखंड के किसानों की बढ़ाईं मुश्किलें

रोहतास। डेहरी प्रखंड में उर्वरक की किल्लत ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है। हार्वेस्टिग के बाद तैयार खेतों में रबी का बोआई कार्य रुका हुआ है। खेतों की तेजी से भाग रही नमी के चलते किसान काफी परेशान हैं। उर्वरक को लेकर किसान दिनभर बाजार की खाक छान रहे हैं। एक दुकान से दूसरी दुकान पहुंच खाद की जुगाड़ के लिए अपना पसीना बहा रहे हैं, परंतु स्थिति यह हो गई है, सभी दुकानदार एक दो बैग भी दे पाने में अपने को असमर्थ बता रहे हैं। दिनभर की भागदौड़ के बाद खाली हाथ ही घर लौट रहे हैं। किसानों की माने तो ऐसा नहीं है कि खुदरा विक्रेता के पास खाद बिल्कुल भी नहीं है। यदि दो हजार डीएपी और पांच सौं रुपया यूरिया का देने को तैयार हो जाएं, तों शाम ढलते या रात में जांच परख कर जितनी खाद चाहिए उतनी आसानी से उपलब्ध करा दे रहे है। मजबूरी में संपन्न किसान बिचौलियों के माध्यम से दोगुनी कीमत पर भी खाद खरीद रहे है। इसके बावजूद भी उन्हें खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जैसे जैसे गेहूं कीबोआई का समय बीतता जा रहा है, किसानों की चिता भी बढ़ती जा रही है। दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक गेहूं फसल की बोआई हो जानी चाहिए थी। अब खाद नहीं मिलने के कारण विलंब हो रहा है, जिससे उपज पर भी बड़ा असर पड़ेगा। डेहरी प्रखंड में खपत के 20 प्रतिशत भी डीएपी अबतक उपलब्ध नहीं हो पाई है, और ना ही फिलहाल इसकी उपलब्धता संभव दिख रही है। खाद की किल्लत से परेशान किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एवं कृषि विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। फसल खेतों की नमी भागते और बोआई पिछड़ते देख किसानों के हाथ पांव फूलने लगे हैं। अबतक 20 प्रतिशत भी नहीं हुई डीएपी की आपूर्ति डेहरी प्रखंड में धान, गेहूं, चना की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इस वर्ष 7400 हेक्टेयर भूमि में रबी की बोआई का लक्ष्य रखा गया है, जबकि पिछले वर्ष लक्ष्य 8200 हेक्टेयर के आसपास का था। गेहूं चना समेत अन्य दलहन तेलहन की बोआई में डीएपी खाद की महत्वपूर्ण भूमिका है।बोआई के समय ही इस खाद की जरूरत पड़ती है ऐसे में इसकी उपलब्धता 20 प्रतिशत से भी कम रहने से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब समय से गेहूं की बोआई लक्ष्य का आधा भी नहीं हो पाएगी। प्रखंड कृषि समन्वयक इंद्रमणी चौबे ने बताया कि दस तारीख के बाद डीएपी का रैक जिले में पहुंच रहा है। विभाग की ओर से अन्य रैक सुनिश्चित करने की व्यवस्था की जा रही है।

विधायक फतेबहादुर सिंह ने रबी के लिए हो रही खाद की किल्लत और कालाबाजारी को ले सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि खाद की किल्लत ने किसानों में हाहाकार मचा रखा है।

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