रोहतास में निर्माण के 12 वर्ष बाद भी चालू नहीं हो पाया मिट्टी जांच केंद्र

स्थानीय प्रखंड कृषि कार्यालय के पास वर्ष 2009 में 6.73 लाख की लागत से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला का भवन बना इसकी स्थापना की गई थी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 11:19 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 11:19 PM (IST)
रोहतास में निर्माण के 12 वर्ष बाद भी 
चालू नहीं हो पाया मिट्टी जांच केंद्र
रोहतास में निर्माण के 12 वर्ष बाद भी चालू नहीं हो पाया मिट्टी जांच केंद्र

रोहतास। स्थानीय प्रखंड कृषि कार्यालय के पास वर्ष 2009 में 6.73 लाख की लागत से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला का भवन बना इसकी स्थापना की गई थी। विडंबना यह है कि 12 वर्ष बीतने के बाद भी प्रयोगशाला चालू नहीं हो सका। वर्षों क्षेत्र के किसान मिट्टी जांच प्रयोगशाला चालू होने का इंतजार कर रहे हैं, परंतु इस केंद्र में आज तक किसी कर्मी की बहाली नहीं की गई है। प्रयोगशाला चालू नहीं होने से किसान प्रखंड कृषि कार्यालय में किसान सलाहकार से संपर्क कर सासाराम से मिट्टी जांच करवाते हैं।

किसानों का कहना है कि अगर यह मिट्टी जांच केंद्र चालू हो जाए, तो वे अपने खेतों की मिट्टी की जांच कराकर खेतों की उर्बरा शक्ति जानते और उसके आधार पर आवश्यक पोषक तत्व का प्रयोग कर फसल की पैदावार बढ़ाते। केंद्र में कर्मी नहीं रहने से किसानों को यह लाभ नहीं मिल रहा है उपज बढ़ाने को मिट्टी का परीक्षण महत्वपूर्ण:

प्रखंड तकनीकी प्रबंधक रविदर कुमार ने बताया कि किसी भी पौधे की पूर्ण वृद्धि के लिए 16 पोषण तत्व आवश्यक होते हैं। इन 16 तत्वों में से किसी एक तत्व की कमी होने पर पौधे पर दुष्प्रभाव देखने को मिलता है। मिट्टी में किसी विशेष पोषक तत्व की अधिकता या कमी हो सकती है। यह फसल की वृद्धि व पैदावार पर प्रभाव डालती है। इसलिए मिट्टी का परीक्षण सबसे महत्वपूर्ण और पहला कदम है। मिट्टी परीक्षण के अभाव में कभी-कभी किसान उसी पोषक तत्वधारी उर्वरक का लगातार उपयोग करते हैं, जो पहले से ही मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। अधिकांश किसानों नहीं है मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला की जानकारी:

डेहरी प्रखंड के चकन्हा पंचायत के किसान भोला यादव, भैसहा के किसान अवधेश चौधरी, चकन्हा के आनंद पांडेय, मथुरी पंचायत के भेड़िया निवासी राकेश कुमार उर्फ अंटू सिंह, धनंजय सिंह, जमुहार पंचायत के तेन्दुआ निवासी मुन्ना सिंह समेत अन्य लोगों ने कहा की यदि प्रखंड में मिट्टी जांच होती ,तो वे अपने खेतों की मिट्टी जांच असानी से कराकर उसी अनुसार ही खेतों में खाद डालते, लेकिन वे भी अन्य किसानों को देखकर अपनीे खेतों में खाद का छिड़काव करते हैं। कहते है अधिकारी:

प्रखंड कृषि पदाधिकारी अशोक प्रियदर्शी ने बताया कि हमारे आने के पूर्व से ही भवन बना हुआ है, लेकिन अभी तक मिट्टी जॉच प्रयोगशाला में कोई भी कर्मी कार्यरत नहीं है। भवन में ताला बंद रहता है। जहां तक मिट्टी जांच की बात है, तो हमलोगों द्वारा किसान सलाहकार, कृषि समन्वयक के माध्यम से प्रखंड के विभिन्न गांवों से मिट्टी एकत्रित कर जिला को भेजी जाती है। जिला मिट्टी जांच प्रयोगशाला में वहां उसकी जांच होने के बाद मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाकर किसानों को कार्ड उपलब्ध कराई जा रहा है।

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