गर्मी के दस्तक देते ही पहाड़ी गांवों में गहराया जलसंकट, मैदानी क्षेत्र में लोग ले रहे शरण

कैमूर पहाड़ी के गांवों में गर्मी के दस्तक देते ही जलसंकट गहराने लगा है। पशुपालक पशुओं के साथ मैदानी इलाकों के गांव व सोन डीला में शरण लेने को निकल पड़े है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 09:58 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 09:58 PM (IST)
गर्मी के दस्तक देते ही पहाड़ी गांवों में गहराया जलसंकट, मैदानी क्षेत्र में लोग ले रहे शरण
गर्मी के दस्तक देते ही पहाड़ी गांवों में गहराया जलसंकट, मैदानी क्षेत्र में लोग ले रहे शरण

संवाद सहयोगी, डेहरी ऑनसोन : रोहतास। कैमूर पहाड़ी के गांवों में गर्मी के दस्तक देते ही जलसंकट गहराने लगा है। पशुपालक पशुओं के साथ मैदानी इलाकों के गांव व सोन डीला में शरण लेने को निकल पड़े है। हर दिन झुंड के झुंड पशुओं के साथ पशुपालक रसद पानी के साथ घर बार छोड़ अपने रिश्तेदारों या फिर सोन नदी स्थित डिला में जाना प्रारंभ कर दिए हैं। हर वर्ष गर्मी का मौसम आने पर कमोबेश यही स्थिति रहती है। बारिश शुरू होने पर ये वापस सोन डीला से अपने घर की ओर रुख करेंगे। ऐसी स्थिति में घर बार रहते हुए भी इनकी हालत खानाबदोश की रहती है। 80 पहाड़ी गांवों की 25 हजार आबादी प्रभावित:

गर्मी में पेयजल की यह समस्या एक-दो नहीं बल्कि कैमूर पहाड़ी पर बसे रोहतास व नौहट्टा प्रखंड के 80 गांव में 25 हजार की आबादी रहती है। इन गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल सुलभ कराने के लिए 2016 में विधान सभा में तत्कालीन विधायक ललन पासवान ने भी मुद्दा उठाया था। उन्होंने मुख्य मंत्री से आग्रह किया था कि पहाड़ी गाव में मानव एवं पशु एक साथ चुआं के प्राकृतिक जलस्त्रोत पर पानी पीते है। इसके बावजूद यहां कि तस्वीर नहीं बदली। आज भी गर्मी आते ही पशुपालक अपने पशु को लेकर मैदानी इलाकों की ओर रवाना हो रहे है। कहते हैं पशुपालक:

हसडी गाव निवासी रामसूरत यादव, रामबेलास यादव, नागा टोली के अवधेश यादव, पूर्व मुखिया कृष्णा सिंह यादव, विरेंद्र यादव आदि का कहना है कि अब पूरे गर्मी में पहाड़ी गाव की अधिकांश आबादी सबकुछ रहते हुए भी पानी के अभाव में घर बार छोड़कर अपने पशुओं के साथ मैदानी इलाकों में जीवन व्यतीत करेंगे। मुख्यमंत्री के रेहल गांव में आगमन के बाद कुछ आस जगी थी, कि पहाड़ के हर गांव रेहल की तरह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी, किन्तु यह संभव नहीं हो पाया। पहाड़ी गांव के रिग कल भी जवाब देने लगे हैं। हालांकि सोलर सिस्टम से कई गांवो को पेयजल सुलभ कराने का प्रयास प्रशासन द्वारा किया गया। लेकिन आवश्यकतानुसार बोर नहीं किए जाने के चलते कई रिग कल व पानी टंकी जवाब देने लगे हैं। कहते हैं अधिकारी :

कैमूर पहाड़ी के दो दर्जन गाव में सौर ऊर्जा चालित मिनी वाटर सप्लाई योजना के तहत पानी टंकी लगाया गया है व शेष गांवों में लगाने की प्रक्रिया की जा रही है। पहाड़ी गांव के बंद पड़े रिग कल का सर्वे करा तत्काल मरम्मत करने का निर्देश स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को दिया गया है।

सुनील कुमार सिंह, एसडीएम

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