एसएफसी को उसना चावल देने पर रोक से पैक्सों पर लटकी डिफाल्टर होने की तलवार
एक तरफ पैक्स और किसानों की आर्थिक स्थिति सु²ढ़ करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार कई प्रकार की योजनाओं का संचालन कर रही है। वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार द्वारा पैक्सों से अरवा चावल की जगह अब आगामी वर्ष से सीएमआर के रूप में उसना चावल एसएफसी द्वारा लिए जाने के निर्देश से जिले के 58 पैक्स समिति पर ग्रहण लगता दिख रहा है।
जागरण टीम, सासाराम / डेहरी आन-सोन रोहतास: एक तरफ पैक्स और किसानों की आर्थिक स्थिति सु²ढ़ करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार कई प्रकार की योजनाओं का संचालन कर रही है। वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार द्वारा पैक्सों से अरवा चावल की जगह अब आगामी वर्ष से सीएमआर के रूप में उसना चावल एसएफसी द्वारा लिए जाने के निर्देश से जिले के 58 पैक्स समिति पर ग्रहण लगता दिख रहा है। इन पैक्सों के डिफाल्टर होने की संभावना प्रबल हो गई है। पैक्स अध्यक्ष उसना चावल देने से हाथ खड़े कर रहे है।
राज्य सरकार द्वारा जिले के 53 पैक्स को 34 लाख 40 हजार प्रति पैक्स की दर से 18 करोड़ 23 लाख 20 हजार रुपए और पांच पैक्स को 77 लाख की दर से तीन करोड़ 85 लाख रुपए मिनी राइस मिल लगाने के लिए ऋण दिए गए है। जिसमे 50 फीसद अनुदान के रूप में 17 लाख 20 हजार के हिसाब से 53 पैक्स को नौ करोड़ 11लाख 70 हजार और पांच पैक्स को 38 लाख 50 हजार कुल एक करोड़ 92 लाख 50 हजार रुपए दिए गए है। राज्य सरकार की इस ऋण की राशि से पैक्स अरवा चावल बनाने के लिए मिनी राइस मिल लगाकर धान अधिप्राप्ति कर अरवा चावल ही एसएफसी को देते आ रहे है। ऐसे में अगले वर्ष से उसना चावल लिए जाने के फरमान से सभी राइस मिल बेकार हो जाएंगे और संबंधित पैक्स ऋण देने में अक्षम हो जाएंगे। जिससे पैक्स अध्यक्षों को डिफाल्टर होने का भय सताने लगा है। यदि पैक्स डिफाल्टर हो जाएंगे तब इन्हें धान अधिप्राप्ति का अवसर नही मिल पाएगा। साथ ही उन पैक्सों के पोषक क्षेत्र में किसानों के धान पैक्स में बिक्री को लेकर समस्या खड़ी हो जाएगी। किसान सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने के बजाए स्थानीय व्यापारी को बेचने के लिए बाध्य होंगे। जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर हों जाएगी।
कहते है पैक्स अध्यक्ष:
जयंतीपुर पैक्स अध्यक्ष प्रदीप सिंह, करसेरूआ पक्स अध्यक्ष कामेश्वर सिंह, इंद्रपुरी के अध्यक्ष उमेश यादव, रोहतास व्यापार मंडल अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह कहते है कि सीएमआर के रूप में यदि एसएफसी अरवा चावल नहीं लेती है, तो पैक्स या व्यापार मंडल ऋण राशि को किस तरह चुकता कर पाएगा। किस्त नहीं देने पर पैक्स समिति डिफाल्टर हो जाएगी। ऐसे में उन पैक्स के किसानों की धान अधिप्राप्ति में भी समस्या खड़ी हो जाएगी। सरकार की नई नीति किसानों और पैक्स दोनों के साथ नाइंसाफी होगी। एक तरफ ऋण लेकर अरवा चावल की मिल बैठाई गई है। वहीं दूसरी ओर अब इसे उसना चावल मिल में परिवर्तित करने में लाखों रुपए खर्च होंगे, जिसे पूरा कर पाने में पैक्स सक्षम नहीं है। कहते हैं राज्य सहकारी बैंक अध्यक्ष:
20 किस्तों में दस वर्ष में ऋण की राशि को पैक्स द्वारा जमा करना है। जब मिल बंद हो जाएगी और कमाई नही होगी, तो सभी पैक्स समिति डिफाल्टर हो जाएंगी। फिर आरबीआइ के दिशा निर्देश के अनुसार इन्हें दोबारा धान अधिप्राप्ति के लिए ऋण नही दिया जा सकेगा। जिससे पैक्स और किसान की स्थिति काफी कमजोर होगी और बिचौलिए की मनमानी पुन: शुरू हो जाएगी। मामले से बिस्कोमन अध्यक्ष सह विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह ने सरकार को अवगत कराया है। अगर इसमें संशोधन नही किया जाता है, तो यह नियम किसान और पैक्स व व्यापार मंडल की कमर तोड देगा।
रमेशचंद्र चौबे
अध्यक्ष, राज्य सहकारी बैंक राइस मिल के लिए इन पैक्सों को मिला है ऋण: घुसिया पैक्स, चनकी, कदवा, जमसोना ,नहौना, पताढी, बलथरी, फुलवरिया, मझियावं, हुरका ,चांदी इंग्लिश ,जयश्री, राम डिहरा, तिलोखर, मुरादाबाद, सरैया ,उत्तरी बरांव,कुरी,समहुति, हाटा, खुरमाबाद, डुमरी , रोतवां, समहुता, करंज ,करसेरुआ, जयंतीपुर, कुम्हऊ, धनकाढ़ा, अमरी, उचितपुर, महदीगंज, सिलारी, गोडारी, नरवर, कंजर, भोसारी इटवा, डेढगांव, बकसडा, जमुहार,करूप,मानी,चिकसिल,घोसियाखुर्द,बाघाखोह, अकोढा, कल्याणपुर, कुडियारी, व्यापार मंडल नौहट्टा,नोखा,काराकाट, नासरीगंज,चेनारी,रोहतास,कोचस, अकोढ़ीगोला समेत कुल 58 पैक्स एवं व्यापार मंडल शामिल हैं।