डेहरी में बालू पर प्रतिबंध से निर्माण कार्य ठप, मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट

सोन नदी का बालू कभी स्थानीय मजदूरों के रोजगार का साधन व तस्करों के लिए पीला सोना हुआ करता था। सरकार द्वारा अब बालू खनन भंडारण व बिक्री पर रोक के बाद प्रशासनिक सख्ती से मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट आ खड़ा हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 10:37 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 10:37 PM (IST)
डेहरी में बालू पर प्रतिबंध से निर्माण कार्य ठप, मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट
डेहरी में बालू पर प्रतिबंध से निर्माण कार्य ठप, मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट

संवाद सहयोगी, डेहरी आनसोन : रोहतास। सोन नदी का बालू कभी स्थानीय मजदूरों के रोजगार का साधन व तस्करों के लिए पीला सोना हुआ करता था। सरकार द्वारा अब बालू खनन, भंडारण व बिक्री पर रोक के बाद प्रशासनिक सख्ती से मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट आ खड़ा हुआ है। दैनिक जागरण की टीम ने गुरुवार को बालू पर लगी रोक के बाद उससे पड़ने वाले असर की पड़ताल की। सुबह सात बजे बारह पत्थर मोड़ पर हर रोज की तरह काफी संख्या में मजदूर इकट्ठा मिले। काम की तलाश में खड़े मजदूरों ने बेझिझक अपनी समस्याओं पर बात की। कहा कि बालू बंद होने के चलते निजी व सरकारी निर्माण कार्य पूर्ण रूप से बंद हैं। अब धान की रोपनी का काम भी लगभग पूरा हो चला है, जिससे खेती-किसानी में भी काम नहीं मिल रहा है। ऐसे में कई मजदूरों को हर रोज काम की तलाश में काफी दूरी तय कर यहां आना जाना पड़ता है। जबकि काम नहीं मिलने पर मजदूरों को पाकेट से बस-टेंपो भाड़ा का पैसा खर्च करना पड़ता है। कहते हैं मजदूर :

काम के इंतजार में बैठे अमझोर निवासी चंद्रदेव प्रजापति ने बताया कि घर से सुबह छह बजे बस पकड़ना पड़ता है। बस में आने जाने का किराया 50 रुपये खर्च करने के बावजूद काम मिलने की कोई गारंटी नहीं होती। ऐसे में घर-परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। झारखंड के गढ़वा रोड निवासी नगीना चौधरी कहते हैं कि काम की तलाश में हर रोज ट्रेन से 60 रुपए भाड़ा लगाकर आना पड़ता है। बालू नहीं मिलने से निर्माण कार्य बंद हैं, अब तो रोजी रोटी पर आफत है। तिलौथू निवासी विकास कुमार सिंह का कहना है कि बरसात के चलते व खनन बंद होने से बालू का दाम आसमान छू रहा है। जो बालू 1500 सौ रुपए ट्रैक्टर मिलता था, आज आठ से 10 हजार रुपये चोरी से मिल रहा है। जिससे साधारण परिवार के लोग घर मकान बनाने का काम रोक दिए हैं।

बता दें कि बालू खनन पर रोक से सोन नदी में लगी सैकड़ों मशीनें, होटल संचालक, ट्रैक्टर व ट्रक चालकों और ऑपरेटरों के समक्ष भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। मजदूर व राज मिस्त्री की बेरोजगारी के साथ ही ईंट, सीमेंट व छड़ की बिक्री पर भी असर देखने को मिल रहा है। कहते हैं अधिकारी:

सोन से बालू निकासी का ठेका लेने वाली आदित्य मल्टीकाम ने हाईकोर्ट में बालू उठाव पर रोक लगाने के लिए अपील दायर की थी। जिसके बाद कोर्ट ने स्टाक के उठाव पर रोक लगा दिया है। फिलहाल एनटीपीसी व चौसा थर्मल पावर प्लांट के लिए जब्त बालू का उठाव किया जा रहा है, ताकि सरकारी निर्माण में बाधा न आ सके।

गोपाल कुमार, जिला खनन पदाधिकारी

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