यूरिया की आस में बीत गया भादो मास, अब कुआर का इंतजार

सासाराम धान का कटोरा कहे जाने वाले रोहतास जिला में अन्न उत्पादन केवल किसानों के लिए जीि

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 08:55 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 08:55 PM (IST)
यूरिया की आस में बीत गया भादो मास, अब कुआर का इंतजार
यूरिया की आस में बीत गया भादो मास, अब कुआर का इंतजार

सासाराम : धान का कटोरा कहे जाने वाले रोहतास जिला में अन्न उत्पादन केवल किसानों के लिए जीविका का साधन ही नहीं बल्कि उनके अरमान भी उसी पर निर्भर है। बच्चों की पढ़ाई, बिटिया की शादी से ले घर मकान बनाने तक के सपने इसी के बदौलत पूरे होते हैं। सावन-भादो के बरसात ने किसानों के चेहरे पर जो खुशी लाई थी, वो अब खाद की किल्लत से धूमिल होने लगी है। किसानों ने इस वर्ष समय से पूर्व धान की रोपनी कर दी। अच्छी बारिश से इस बार किसानों को आस जगी थी कि धान की फसल अच्छी होगी। मौसम ने भी किसानों का भरपूर साथ दिया। लेकिन गत एक माह से यूरिया की घोर कमी ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। पहले ही किसानों को दो बार से कोरोना के कहर की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। ऐसे में अगर इस बार भी फसल अच्छी नहीं हुई तो किसानों को भूखे मरने की भी नौबत आ सकती है।

विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 53684.547 मीट्रिक टन आवश्यकता के विरुद्ध में अभी तक 42861.466 टन यूरिया का ही वितरण हो पाया है। लगभग सवा लाख क्विटल यूरिया की कम आपूर्ति होने से इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। यूरिया पाने की आस लिए हर रोज किसान प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय की दुकानों के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन बदले अगर उन्हें कुछ मिलता है तो सिर्फ इंतजार। एक माह से लगातार दुकानों के आगे महिलाओं से लेकर बूढ़े व जवान किसान अपना सारा कामकाज छोड़कर कतार में खड़े रहने को मजबूर हो गए हैं। एक दिन पूर्व से ही किसान दुकानों के आगे ईंट - पत्थर रख अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं। सुबह होते ही सैकड़ों की भीड़ में महज दो बोरी यूरिया पाने के लिए जद्दोजहद करते दिखते हैं। कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि सोहनी के बाद से यूरिया का उपयोग नहीं होने से अब इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। धान के पौधे अब रेड़ने लगा है। एक-दो सप्ताह में दाने लगने भी शुरू हो जाएंगे। जिसमें पौष्टिकता नहीं मिलने के कारण उत्पादन पर असर पड़ेगा। वहीं किसान जहां एक दो बोरी खाद के लिए लगातार कतार में लग रहे हैं वहीं प्रशासन कागजी घोड़ा दौड़ा आश्वासनों की घुट्टी पीला रहा है।

-------------------

पिछले कई दिनों से शहर के दुकानों का चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन अभी तक एक बोरी खाद भी नहीं मिल पाया है। सारा काम धाम छोड़कर पूरा दिन दुकानों के आगे लाइन में खड़ा हो ही बीत जा रहा है।

चंद्रदेव सिंह, धुंवा दो दिन से रत में ही आकर कतार में लग रहे हैं। फिर भी अभी तक यूरिया नहीं मिल पाया। ग्रामीण बाजार के दुकानों पर भी यूरिया नहीं मिल रही है। ऐसे में किसान कहां गुहार लगाए कुछ समझ में नहीं आ रहा।

राम सनेही, महुली प्रशासन कहता है की खाद की कमी नहीं है। लेकिन दुकानों के आगे से कतार कम होने का नाम नहीं हो रही है। बारिश हो या कड़ी धूप में कतार में लगने के बाद में भी खाद नहीं मिल रहा है। किसानों की समस्या को लेकर प्रशासन से ले जनप्रतिनिधि तक मौन हैं।

अजेंद्र सिंह, धरहरा

chat bot
आपका साथी