वनवासियों को रोजगार दें या वन संपदा से हटाया जाए प्रतिबंध

रोहतास प्रखंड के कैमूर पहाड़ी की तलहटी में बसे तारडीह स्थित रोहतास अधौरा मार्ग पर वन विभाग के चेकनाका के पास रविवार को अध्यक्ष महेंद्र उरांव की अध्यक्षता में वनवासी चेतना मंच की बैठक हुई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 06:08 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 06:08 PM (IST)
वनवासियों को रोजगार दें या वन संपदा से हटाया जाए प्रतिबंध
वनवासियों को रोजगार दें या वन संपदा से हटाया जाए प्रतिबंध

संवाद सहयोगी, डेहरी ऑन-सोन: रोहतास प्रखंड के कैमूर पहाड़ी की तलहटी में बसे तारडीह स्थित रोहतास अधौरा मार्ग पर वन विभाग के चेकनाका के पास रविवार को अध्यक्ष महेंद्र उरांव की अध्यक्षता में वनवासी चेतना मंच की बैठक हुई। जिसमें शामिल ग्रामीणों ने वन विभाग द्वारा महुआ, पियार,तेंदूपत्ता आदि वन संपदा पर प्रतिबंध लगाए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।

अध्यक्ष उरांव ने कहा कि जल, जंगल और जमीन पर वनवासियों का अधिकार होता है। हम इसकी सुरक्षा भी करते है। पशुपालन एवं महुआ, पियार तेंदूपत्ता, वन औषधि ही हम लोगों की रोजी-रोटी का मूल साधन है। जिन्हें हमारे घर की महिलाएं अपनी निजी भूमि, जो जंगल के निकट है, उससे चुनकर लाती हैं और उसे बेचकर कर घर गृहस्थी चलती है। वहीं वन विभाग द्वारा इसकी खरीद बिक्री और चुनने पर प्रतिबंध की बात कह हमें अनावश्यक परेशान किया जाता है। जबकि मुख्यमंत्री द्वारा रेहल खेल मैदान में चार अप्रैल 2018 को आयोजित कार्यक्रम में वहां उपस्थित अधिकारियों को भी महुआ पियार से प्रतिबंध हटाने को कहा गया था। फिर भी भोले भाले निर्दोष वनवासी को तरह-तरह के आरोप लगा वन अधिनियम के तहत केस में फंसाने का काम किया जा रहा है। अब वन विभाग की मनमानी नहीं चलेगी। मंच के सचिव नागेंद्र यादव ने कहा कि वन विभाग के स्थानीय अधिकारी वन क्षेत्र से कीमती लकड़ी और विलुप्त हो रहे वन्य जीव की तस्करी की जानकारी होने के बावजूद उन्हें नहीं रोक पा रहे हैं। ऊपर से स्थानीय अधिकारियों के कारनामे की शिकायत वरीय अधिकारियों से करने पर भी परेशान किया जाता है। विभाग से हमारी एकमात्र मांग यही है कि सरकार हमें रोजगार दे या वन अधिनियम 2006 को लागू कर प्रतिबंध हटा वन संपदा पर वनवासियों को अधिकार दिया जाए। बैठक में दिनेश उरांव, रामपति यादव, संजय यादव, उपेंद्र चेरो, राजदेव रजवार, उपेंद्र यादव के अलावा मानू, हरैया, कोडियारी, आमडीह, माधा समेत आधा दर्जन गांवों के ग्रामीण एवं मंच के सदस्य शामिल थे।

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