पूर्णिया कॉलेज में प्रवास के दौरान दिनकर ने की थी रश्मिरथी की रचना

पूर्णिया। पूर्णिया विश्वविद्यालय की दिनकर अध्ययन पीठ के तत्वावधान में शनिवार को राष्ट्रकवि रामध

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 06:47 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 06:47 PM (IST)
पूर्णिया कॉलेज में प्रवास के दौरान दिनकर ने की थी रश्मिरथी की रचना
पूर्णिया कॉलेज में प्रवास के दौरान दिनकर ने की थी रश्मिरथी की रचना

पूर्णिया। पूर्णिया विश्वविद्यालय की दिनकर अध्ययन पीठ के तत्वावधान में शनिवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की 47वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। इस अवसर पर अपराह्न 2.30 बजे आभासी मोड में राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन होगा। इसका विषय है 'स्मरण : राष्ट्रकवि दिनकर'। आभासी मोड में आयोजित इस राष्ट्रीय वेबीनार में डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर (मध्य प्रदेश) के कुलाधिपति प्रो. बलवन्त शांतिलाल जानी एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) के हिन्दी एवं तुलनात्मक साहित्य विभाग के प्रो. कृष्ण कुमार सिंह क्रमश: मुख्य वक्ता एवं अतिथि वक्ता के रूप में शामिल होंगे। समारोह की अध्यक्षता पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजनाथ यादव करेंगे। समारोह का संचालन दिनकर अध्ययन पीठ के प्रभारी प्रो.गौरी कांत झा एवं धन्यवाद ज्ञापन हिदी विभाग के डा.पुरंदर दास करेंगे। इस संबंध में कुलपति के निर्देश पर सभी स्नातकोत्तर विभागों के अध्यक्ष, शिक्षकों, सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों को इमेल के माध्यम से वेबीनार में शामिल होने के लिए सूचित किया गया है।

उपरोक्त जानकारी देते हुए विवि के दिनकर अध्ययन पीठ के प्रभारी प्रो. गौरी कांत झा ने बताया कि

अपने जीवन काल में दिनकर ने एक विद्यालय के प्रधानाचार्य, सब-रजिस्ट्रार, जन-संपर्क विभाग के उप-निदेशक, भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति, भारत सरकार के हिदी सलाहकार समेत विभिन्न पदों पर रहकर अपनी प्रशासनिक योग्यता एवं क्षमता का परिचय दिया। साहित्य सेवाओं के लिए उन्हें 'डी.लिट्' की मानद उपाधि भी प्रदान की गई। वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे।

उन्होंने महाभारत के एक प्रसिद्ध पात्र कर्ण के चरित्र पर आधारित अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'रश्मिरथी' की रचना पूर्णिया प्रवास के दौरान पूर्णिया कालेज, पूर्णिया के तत्कालीन प्राचार्य जनार्दन प्रसाद झा 'द्विज' के सानिध्य में रहकर किया था। इस पुस्तक को अपने मित्र द्विज को समर्पित करते हुए उन्होंने लिखा है- 'मित्रवर पंडित जनार्दन प्रसाद झा द्विज के योग्य'। उन्हें साहित्य अकादमी एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी नवाजा गया था। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण की उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया था। वर्ष 2018 में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल-सह-कुलाधिपति लालजी टंडन के कर-कमलों से राष्ट्रकवि दिनकर के नाम पर पूर्णिया विश्वविद्यालय, में अध्ययन पीठ आरंभ किया गया था। उनका जन्म 23 सितंबर 1908 को एवं निधन 24 अप्रैल 1974 को हुआ था।

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