पूर्णिया भूअर्जन कार्यालय में मुआवजा भुगतान में लंबे समय से चल रहा था वसूली का खेल

पूर्णिया के जिला भू- अर्जन कार्यालय में किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान करने में कमीशन का खेल लंबे समय से चल रहा था। इस कार्यालय में किसानों से बिना कमीशन लिए उनको मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया जाता था।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 11:57 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 11:57 PM (IST)
पूर्णिया भूअर्जन कार्यालय में मुआवजा भुगतान में लंबे समय से चल रहा था वसूली का खेल
पूर्णिया भूअर्जन कार्यालय में मुआवजा भुगतान में लंबे समय से चल रहा था वसूली का खेल

पूर्णिया। पूर्णिया के जिला भू- अर्जन कार्यालय में किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान करने में कमीशन का खेल लंबे समय से चल रहा था। इस कार्यालय में किसानों से बिना कमीशन लिए उनको मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया जाता था। कमीशन नहीं देने पर मुआवजा के लिए किसानों को इतनी बार कार्यालय का चक्कर लगवाया जाता था की थक हार कर किसान कमीशन देने में ही अपनी भलाई समझते थे। मुआवजा के कमीशन के इस खेल में जिला भू्- अर्जन कार्यालय के कई कर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध है। वे भी इस खेल में पूरी तरह से शामिल थे। निगरानी भी अब वसूली के इस खेल में कार्यालय के कौन कौन से कर्मी शामिल है इसकी जांच अपने स्तर से कर रहा है। बताया जाता है कि हाल के वर्षों में पूर्णिया में सरकारी योजनाओं के लिए खासकर सड़कों के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में किसानों सहित आम लोगों की जमीन को जिला भू अर्जन कार्यालय द्वारा अधिगृहित करने का काम किया गया। जमीन के अधिग्रहण के इस खेल में भू- अर्जन कार्यालय के पदाधिकारी सहित कार्यालय के बाबुओं ने वसूली का जमकर खेल खेला। मुआवजा की राशि तय करने में भी वसूले गए कमीशन का बड़ा महत्व रहा। जिसने कमीशन की जैसी रकम अदा की उसकी जमीन की कीमत अधिग्रहण के दौरान उसी तरह की तय कर दी गयी। अगर हाल के वर्षों में सड़कों के अधिग्रहण के लिए जो जमीन अधिगृहित की गयी है और उसके एवज में जो मुआवजा की राशि का भुगतान किया गया है उसकी जांच की जाए तो बहुत बड़ा सरकारी राजस्व के घोटाले का मामला सामने आ सकता है।

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पूर्णिया में लगातार तीन पदों पर पदस्थापित रहे जिला भू- अर्जन पदाधिकारी

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पूर्णिया के जिस जिला भू- अर्जन पदाधिकारी को निगरानी की टीम ने 1. 30 लाख रूपए घूस लेते हुए गिरफ्तार किया वे पूर्व में यहां तीन पदों पर पदस्थापित रह चुके हैं। अरविद कुमार भारती 10 मार्च 2009 से 3 अप्रैल 2010 तक बायसी प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित रहे। इसके बाद 22 जून 2012 से 17 फरवरी 2014 तक वे नगर परिषद के कार्यालय पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित रहे। 2020 से अरविद कुमार भारती जिले में जिला भू- अर्जन पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित थे और उन्हें 23 जुलाई 2021 को निगरानी ने मुआवजा राशि के भुगतान करने के एवज में घूस लेते हुए रंगेदहाथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अरविद भारती का पूर्णिया जिले का पूर्व का कार्यकाल भी विवादों वाला रहा है। बायसी प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी रहते हुए भई सरकारी निर्देशों को ताक पर रखकर उनके द्वारा कार्य करने का आरोप उनके ऊपर लगा था। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में उनके कार्यकाल में जमकर लूट खसोट मची थी। बिना कार्य कराए ही कई संवेदकों को भुगतान करने का मामला भी उनके कार्यकाल में सामने आया था। इसके अलावा कई तरह की निविदा में भी फर्जीवाड़ा की बातें सामने आई थी। जिसमें तत्कालीन अधिकारियों ने इन मामलों की जांच भी कराई लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

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पूर्व से विवादों में रहा है जिला भू- अर्जन कार्यालय

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पूर्णिया जिला भू- अर्जन कार्यालय का इतिहास पूर्व से ही विवादों में रहा है। यह वहीं जिला भू अर्जन कार्यालय है जहां मुर्दे को लाखों की मुआवजा राशि लेने के लिए ना केवल नोटिस भेजी गयी बल्कि मुर्दे ने नोटिस रिसीव भी किया और फिर कार्यालय में सशरीर मुर्दे ने उपस्थित होकर भुगतान भी लिया। इस मामले में तत्कालीन कर्मियों पर कार्रवाई की भी गाज गिरी लेकिन इस तरह के कारनामों को अंजाम देने में जिला भू्- अर्जन कार्यालय के बाबुओं ने कोई सबक नहीं लिया। हाल के कुछ महीनों से मुआवजा राशि के लिए लोगों को अक्सर कार्यालय का चक्कर काटते या फिर कमीशन की रकम कम करने के लिए कार्यालय के बाबुओं के सामने गिड़गिड़ाते हुए देखा जा सकता था। जिन किसानों की जमीन सरकारी योजनाओं के लिए अधिगृहित कर ली गयी उनका कहना था कि एक तो उनके पास जो जमीन थी वह छीन ली गयी उसके एवज में जो मुआवजा की राशि दी जा रही है उसमें भी वसूली के नाम पर उन्हें परेशान किया जा रहा है। कोट के लिए

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जिला भू अर्जन पदाधिकारी के खिलाफ मुआवजा की राशि के भुगतान के एवज में डेढ़ लाख रूपए कमीशन के रूप में मांगने की शिकायत मिली थी जिसके अधार पर निगरानी द्वारा इसका सत्यापन कर उसे सही पाया गया और 1. 30 लाख घूस लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया, कमीशन के इस खेल में कार्यालय के कई कर्मियों के संलिप्तता की भी शिकायत मिली है जिसकी जांच की जा रही है। सुरेन्द्र कुमार मंगवार डीएसपी निगरानी विभाग

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