पूर्णिया में पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों की संख्या 80 फीसद करने का लक्ष्य

सदर अस्पताल परिसर में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती दर काफी कम है। कोरोना संक्रमण काल में यह शून्य पर पहुंच गई थी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 06:54 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 06:54 PM (IST)
पूर्णिया में पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों की संख्या 80 फीसद करने का लक्ष्य
पूर्णिया में पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों की संख्या 80 फीसद करने का लक्ष्य

पूर्णिया। सदर अस्पताल परिसर में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती दर काफी कम है। कोरोना संक्रमण काल में यह शून्य पर पहुंच गई थी। संक्रमण काल से पहले भी भर्ती दर 60 फीसद ही थी। जिला पदाधिकारी राहुल कुमार ने आइसीडीएस को भर्ती दर 80 फीसद करने का निर्देश दिया है। उन्होंने बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को अति कुपोषित बच्चों की पहचान कर उसे एनआरसी में भेजने का निर्देश दिया है।

विदित हो कि अति कुपोषित बच्चों की पहचान कर एनआरसी में भर्ती कर उसकी समुचित देखभाल और बेहतर उपचार करना है। यह आईसीडीएस के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण यह कार्य धीमी पड़ गई है। इस कारण जिलाधिकारी राहुल कुमार ने अब दोबारा इस कार्यक्रम को गति देने का निर्देश दिया है।

एनआरसी में कुल बेड की संख्या 20 है। जिले में अभी तक कुल 25 अति कुपोषित बच्चों की पहचान कर ली गई है। 20 बच्चों को बेहतर इलाज के लिए एनआरसी में भर्ती करा दिया गया है। एनआरसी से डिस्चार्ज होने के बाद 15 दिनों तक उसका फालोअप भी करना है। यह दो माह तक जारी रहता है। भर्ती करने के बाद बच्चे की 24 घंटा देखभाल की जाती है। केंद्र में अति कुपोषित बीमार बच्चों 14 दिनों से 21 दिनों तक भर्ती कर उपचार किया जाता है। इस दौरान बच्चे के मानसिक और शारीरिक दोनों विकास पर ध्यान दिया जाता है। बच्चे के आईक्यू विकसित करने के लिए चित्रकारी और खिलौने के माध्यम से उपचार किया जाता है। मां को भी इस दौरान पोषक आहार और लालन पालन की जानकारी दी जाती है। बच्चे को यहां पर पोषक आहार प्रदान किया जाता है। पोषण सलाहकार निधि प्रिया बताती हैं कि एनआरसी में भर्ती दर पहले से कम है। कोरोना संक्रमण के दौरान यह काफी अधिक कम हो गयी थी। बच्चे जो अतिकुपोषित होने के साथ ही बीमार होते हैं उनका एनआरसी में उपचार किया जाता है। ऐसे बच्चे की 24 घंटा निगरानी की आवश्यकता होती है और सामुदायिक स्तर पर उसकी देखभाल संभव नहीं होती है। 14 दिनों आम तौर पर बच्चे में काफी सुधार हो जाता है। उसको आगे भी जारी रखने की आवश्यकता होती है। इसके लिए फालोअप किया जाता है।

जिले में आंगनबाड़ी केंद्र अपने पोषक आहार क्षेत्र में ऐसे बच्चों को चिह्नित करती है और उसको सदर अस्पताल स्थित एनआरसी केंद्र में भेजा जाता है। एनआरसी में भर्ती दर 60 फीसद है जो काफी कम है। इसको 80 फीसद करने पर फोकस किया जा रहा है। लेकिन इसमें व्यवहारिक परेशानी यह आ रही है कि अधिकांश कुपोषित बच्चों के मां और पिता दोनों मजदूरी कर कार्य करते हैं। अगर मां बच्चे के साथ अस्पताल आ जाती है तो घर की कमाई बाधित हो जाती है। इसलिए जब मां के साथ छोटे बच्चे को भर्ती करने की बात कही जाती है तो वह तैयार नहीं होती हैं। लेकिन डीएम ने ऐसे अभिभावक को समझा कर बच्चे का भविष्य संवारने के लिए उन्हें एनआरसी में भर्ती कराने का निर्देश दिया है।

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