हल्दी की सबसे बेहतर किस्म लेकाडोंग की खेती अब पूर्णिया में

पूर्णिया। हल्दी का सेवन हम किसी न किसी रूप में रोजाना करते हैं। चाहे खाद्य पदार्थ के रूप में

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Aug 2020 08:07 PM (IST) Updated:Fri, 21 Aug 2020 08:07 PM (IST)
हल्दी की सबसे बेहतर किस्म लेकाडोंग की खेती अब पूर्णिया में
हल्दी की सबसे बेहतर किस्म लेकाडोंग की खेती अब पूर्णिया में

पूर्णिया। हल्दी का सेवन हम किसी न किसी रूप में रोजाना करते हैं। चाहे खाद्य पदार्थ के रूप में हो या सौंदर्य प्रसाधन के रूप में हल्दी का काफी उपयोग हम करते हैं लेकिन सबसे बढ़कर हल्दी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली प्रमुख औषधि भी है। हल्दी कई प्रकार के होते हैं, लेकिन उसमें सबसे उत्तम क्वालिटी की हल्दी लेकाडोंग मानी जाती है। इसकी खेती सबसे अधिक आंध्र प्रदेश में होती है, लेकिन अब इसका उत्पादन पूर्णिया में भी शुरू हो गया है।

जिले के प्रगतिशील किसान हिमकर मिश्रा ने अपने फार्म में इसकी खेती शुरू की है। वे कहते हैं कि दो बीघे में इसकी खेती शुरू की थी जो काफी लाभदायक रहा है। दो क्विटल बीज से 10 क्विटल हल्दी का उत्पादन हुआ है। अब धीरे-धीरे वे इसकी खेती बढ़ा रहे हैं। वे फिलहाल 25 एकड़ में हल्दी की खेती कर रहे हैं। उनकी हल्दी की मांग सबसे अधिक औषधि के लिए की जा रही है। कई कैंसर संस्थान में उनकी हल्दी भेजी जाती है।

फसल तैयार होने में लगते हैं छह से सात महीने

किसान हिमकर मिश्रा बताते हैं कि सामान्यतया हल्दी की फसल छह से सात माह में तैयार हो जाती है। सभी प्रकार की भूमि में इसकी खेती हो सकती है लेकिन बलुई दोमट मिट्टी व चिकनी दोमट मिट्टी इसके लिए अधिक उपयुक्त है। खेतों में जलनिकासी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए अन्यथा इसके पौधे गल जाते हैं। अच्छी पैदावार के लिए भूमि का पीएच 5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। हल्दी की उन्नतशील किस्मों में सुगंधा, रोमा, सुरोमा, कृष्णा, राजेंद्र सोनिया, सुगुना, सुदर्शन, सुवर्णा, प्रभा आदि प्रमुख हैं लेकिन उनमें सबसे बेहतर किस्म लेकाडोंग को माना जाता है जिसमें सबसे अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं।

सबसे अधिक होती है करम्यूमिन की मात्रा

भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज के प्राचार्य सह कृषि वैज्ञानिक डॉ. पारसनाथ कहते हैं कि हल्दी में रासायनिक तत्व कर-क्यूमिन पाए जाते हैं, जिसमें कैंसर से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। सामान्यतया भारतीय हल्दी में आम तौर पर करम्यूमिन की मात्रा 3-4 प्रतिशत होती है लेकिन लेकाडोंग में यह 8 से 12 फीसद है। चिकित्सक उमेश कुमार बताते हैं कि अक्सर कैंसर मरीजों में सर्जरी के बाद भी दोबारा कैंसर की वापसी हो जाती है, लेकिन अब सर्जरी के बाद करक्यूमिन से बना एक स्कीन पिच लगाया जाता है जो कैंसर की कोशिकाओं को जड़ से समाप्त कर देता है। साथ ही इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। डॉ. उमेश कुमार ने बताया कि हल्दी का इस्तेमाल सर्दी-जुकाम के अलावा डायबिटीज, हृदय रोग व त्चचा को खूबसूरत बनाने में भी किया जाता है।

25 एकड़ में की गई है खेती

प्रगतिशील किसान हिमकर मिश्रा कहते हैं कि वे फिलहाल अपरे फॉर्म पर 25 एकड़ में हल्दी की खेती कर रहे हैं जिसमें हल्दी के दूसरे उन्नतशील किस्म भी शामिल हैं। दो बीघा मे लेकाडोंग की खेती की शुरू की थी लेकिन उसकी अधिक मांग को देखते हुए अब उसे अधिक रकबा में लगा रहे हैं। वे बताते हैं कि उनकी हल्दी भोपाल के कैंसर अस्पताल में भेजी जाती हैं जहां उसे कैंसर मरीजों के लिए उपयोग किया जाता है। उन्होंने किसानों से भी अधिक लाभ के लिए हल्दी की खेती करने की अपील की है।

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