अंडरटेकिग बसों की बैसाखी पर पथ परिवहन निगम

पूर्णिया। पथ परिवहन निगम का क्षेत्रीय कार्यालय पूर्णिया फिलहाल अंडर टेकिग बसों की बैसाखी के सहारे रेंग रहा है। सीमांचल व कोसी के सात जिलों के प्रति उत्तरदायी इस कार्यालय के पास अपनी महज 27 बसें ही बची है। अंडर टेकिग के जरिए 40 निजी बसें ही निगम का अस्तित्व बचा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 11:31 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 11:31 PM (IST)
अंडरटेकिग बसों की बैसाखी पर पथ परिवहन निगम
अंडरटेकिग बसों की बैसाखी पर पथ परिवहन निगम

पूर्णिया। पथ परिवहन निगम का क्षेत्रीय कार्यालय पूर्णिया फिलहाल अंडर टेकिग बसों की बैसाखी के सहारे रेंग रहा है। सीमांचल व कोसी के सात जिलों के प्रति उत्तरदायी इस कार्यालय के पास अपनी महज 27 बसें ही बची है। अंडर टेकिग के जरिए 40 निजी बसें ही निगम का अस्तित्व बचा रहा है। यही कारण है कि अब भी कई महत्वपूर्ण रूटों में भी निगम की बसें नहीं चल पा रही है। इधर निजी संचालकों की हाइटेक बसों की चुनौती के आगे भी परिवहन निगम टिक नहीं पा रही है और इससे उसकी आमदनी पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। किन-किन जिलों में परिवहन का है दायित्व क्षेत्रीय कार्यालय, पूर्णिया के अंदर पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा व सुपौल आता है। इस हिसाब से अंडरटेकिग के साथ भी बसों की संख्या कम पड़ जाती है। इस चलते अपेक्षित रूटों में भी परिवहन निगम अपनी बसें नहीं चला पा रही है। पूर्णिया से फिलहाल पटना, भागलपुर, किशनगंज, चौसा, रौटा व बिहारीगंज के लिए बस उपलब्ध है। क्या है अंडर टेकिग की व्यवस्था अंडरटेकिग में पथ परिवहन निगम का निजी बस संचालकों से एक करार होता है। इस करार में पथ परिवहन निगम निजी बस को अपनी टाइमिग व लोगो के साथ परिचालन की अनुमति देता है। इसमें उक्त बस में मौजूद सीट के अनुसार संबंधित रूट के किराए के अनुसार सात फीसदी कमीशन लेता है। यह कमीशन बस मालिकों को पथ परिवहन निगम के खाते में जमा करना पड़ता है। बिना मैकेनिक का गैरेज, महज पांच बचे हैं नियमितकर्मी पूर्णिया: पथ परिवहन निगम में बसों का ही टोटा नहीं है। अन्य संसाधन की भी घोर समस्या से यह कार्यालय जूझ रहा है। निगम का अपना गैरेज तो है, लेकिन मैकेनिक नहीं है। पूर्व के मैकेनिकों के सेवानिवृत होने के बाद से इसकी कोई बहाली ही नहीं हुई है। कार्य कराने के लिए जो दैनिक मजदूरी तय की गई है, उसमें कोई भी मैकेनिक कार्य नहीं करना चाहता है। इसी तरह अब गिनती के पांच कर्मी ही यहां नियमित हैं। अधिकांश कर्मी संविदा पर ही बहाल हैं। और तो और प्रशासनिक स्तर से भी अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से बसों के परिचालन में भी कर्मियों को काफी परेशानी होती है।

कोट- रूट के अनुसार बसों की कमी है। पटना में सीएनजी परिचालित बसें आने से वहां की पांच बसें यहां आने वाली है। फिलहाल निगम की अपनी 27 बसें चल रही हैं। अंडरटेकिग की 40 बसों से महत्वपूर्ण रूट में बस देने का प्रयास किया गया है। सीमांचल के साथ कोसी के जिलों में अभी और बसों की जरुरत है। -नरेश झा, क्षेत्रीय प्रबंधक, पथ परिवहन निगम कार्यालय, पूर्णिया

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