पचास से अधिक ब्लैक स्पॉट, संकेतक लगने से टल सकता है हादसा

पूर्णिया। जिले में कई ऐसे प्वाइंट हैं जहां पर बराबर दुर्घटना होती है। वहां पर सूचना प

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 06:06 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 06:06 PM (IST)
पचास से अधिक ब्लैक स्पॉट, संकेतक लगने से टल सकता है हादसा
पचास से अधिक ब्लैक स्पॉट, संकेतक लगने से टल सकता है हादसा

पूर्णिया। जिले में कई ऐसे प्वाइंट हैं जहां पर बराबर दुर्घटना होती है। वहां पर सूचना पट और संकेतक लगा कर दुर्घटना को टाला जा सकता या कम किया जा सकता है। यहां तक कि कुछ ऐसे चौक हैं जहां बराबर हादसे होते हैं। ऐसे चौक हादसों के चौक के रूप पहचाने जाते हैं। इसमें खुश्कीबाग का जीरो माइल्स और नेवालाल चौक शामिल है। यहां स्पीड कम करने के लिए संकेतक या फिर यातायात चौकी भी बनाने से हादसों को नियंत्रित किया

जा सकता है। यहां चौतरफा रास्ता है। भारी वाहन से लेकर छोटी गाड़ी और पैदल यात्री भी गुजरते हैं। यही कारण है इन जगहों पर बराबर दुर्घटना होती है। ऐसे जगहों में शहरी इलाके में नेवालाल चौक, खुश्किबाग जीरो माइल्स के अलावा मधुबनी मझली चौक, भुतहा मोड़, मरंगा चौक, माफा चौक आदि खतरनाक चौक के रूप में जाना जाता है। जिले में 50 ब्लाइंडर स्पॉट -: जिले में ऐसे 50 ब्लाइंडर स्पॉट या ब्लेक स्पॉट चिह्नित किया गया लेकिन वहां यातायात विभाग द्वारा कोई इंतजाम नहीं किया गया है। ऐसे खतरनाक मोड़ हैं जहां कई बार बड़े हादसे हो चुके हैं। कोहरे के समय रात में और सुबह ऐसी दुर्घटना होती है। विभाग चिह्नित जगहों पर रिफ्लेक्टर और सड़क पर उजली पट्टी भी नहीं लगा रहा है। कई जगह तो उजली पट्टी उड़ गई है जिसका दोबारा मरम्मत नहीं किया गया है। ऐसे मोड़ या प्वाइंट से गुजरना जोखिम भरा है। खास कर रात के समय में गाड़ी चलाना ड्राइवर के लिए खतरे से खाली नहीं है। इन सड़कों पर होती ही दुर्घटना -: 50 ब्लैक स्पॉट की पहचान जिले में की गई है। यहां पर सूचना पट या कोई संकेतक तक नहीं लगाया गया है। रिफ्लेक्टर भी नहीं लगा हुआ है। पूर्णिया -कसबा सड़क मार्ग पर पांच ऐसे स्पॉट चिह्नित हैं। कहीं भी आपको कोई सूचना पट नहीं मिलेगी। इसके अलावा धमदाहा- पूर्णिया सड़क मार्ग तीन जगह, राष्ट्रीय राजमार्ग 31 व बेगूसराय में छह ऐसी जगह है। राजमार्ग संख्या 31 सिलीगुड़ी और पूर्णिया के बीच सात जगह की पहचान की गई है। यह ऐसी जगह है जहां बराबर गाड़ी टकरा जाती है। केनगर और बनमनखी सड़क मार्ग तो कुख्यात है। इस मार्ग बस दुर्घटना से लेकर छोटे वाहन भी कई बार हादसे का शिकार हो चुका है। ठंड के समय में दुर्घटना काफी बढ़ जाती है। कभी -कभी तो एक साथ कई गाड़ी एक दूसरे से टकरा गई। पिछले वर्ष ही चंदन नगर चौक पर एक साथ तीन गाड़ियां टकरा गई थी। पहले आमने -सामने की टकर हुई है। उसके बाद पीछे से आने वाली गाड़ी भी टकरा गई। सड़क अतिक्रमण का शिकार -: राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पूर्णिया-सिलीगुड़ी के बीच दर्जनों की संख्या ऐसे ब्लैक स्पॉट हैं। जिले का बायसी अनुमंडल और चरैया जो इसी राजमार्ग पर है उसके तीन किमी तक स्थानीय लोगों का कब्जा है। स्थानीय लोगों द्वारा फसल सुखाया जाता है। ट्रक और बस ड्राइवर बराबर यहां पर धोखा खा जाते हैं हादसे का शिकार हो जाते हैं। स्थानीय लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से इस सड़क पर प्रत्येक वर्ष दर्जनों दुर्घटना होती है। ब्लाइंडर स्पॉट पर रिफलेक्टर लगाने से भी काफी हद तक स्थिति में सुधार संभव है लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण अबतक बोर्ड नहीं लग पाया है। ऑटो चालक की मानमानी -: शहरी क्षेत्र में तो नाबालिग ऑटो चालक सड़क पर बेखौफ घुम रहे हैं। परिवहन विभाग और यातायात विभाग दोनों की सुस्ती ने इनका मनोबल बढ़ा दिया है। ऐसे चालक पर लगाम नहीं लग पा रहा है। शायद ही कभी ऐसे चालकों को पकड़ा जाता है। ऑटो चालक जहां-तहां गाड़ी रोक कर सवारी बैठाते हैं। पार्क भी कहीं भी सड़क किनारे ही कर देते हैं।

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