स्वाभिमान प्लस परियोजना से पोषण गुणवत्ता में होगा सुधार
स्वाभिमान प्लस परियोजना कसबा और जलालगढ़ में पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है। इसका मकसद गर्भवती महिलाओं और शिशुओं में कुपोषण को दूर करना है।
पूर्णिया। स्वाभिमान प्लस परियोजना कसबा और जलालगढ़ में पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है। इसका मकसद गर्भवती महिलाओं और शिशुओं में कुपोषण को दूर करना है। पिछले कई वर्षों से यहां पर स्वाभिमान योजना का संचालन हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग और आइसीडीएस के सहयोग से यह कार्यक्रम चल रहा है। जिले भर में जल्द इसको लागू करने की योजना है।
स्वास्थ्य विभाग आईसीडीएस के साथ डवलपमेंट साझीदार यूनिसेफ और जीविका भी सहयोग कर रहा है। पोषण से संबंधित सरकारी सुविधाओं को लोगों तक पहुंचाना सबसे बड़ा मकसद है। फिलहाल यह परियोजना दो प्रखंड कसबा और जलालगढ़ के 98 आंगनबाड़ी केंद्रों में चलाया जा रहा है। क्या है स्वाभिमान प्लस
परियोजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं का ख्याल रखने के साथ शिशु के जन्म के दो वर्ष तक निगरानी रखना है। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर ही बच्चे का पोषण भी निर्भर करता है। नवजात को कुपोषण से बचाने के लिए मां का स्वास्थ्य बेहतर होना आवश्यक है। महिलाओं के गर्भावस्था के पूर्व से लेकर बच्चे के जन्म के दो साल तक सही पोषण मिले। स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया है आंकड़ा
स्वास्थ्य विभाग के जारी आंकड़ों के अनुसार देश में जन्म लेने वाले 20 प्रतिशत बच्चों की लंबाई कम होती है। 30 प्रतिशत बच्चे का वजन जन्म से ही कम होता है। सही जानकारी हो तो इसे कम किया जा सकता है। बच्चों का वजन और लंबाई गर्भ में रहने के दौरान 20 सप्ताह में पता चल सकता है। महिलाओं की स्वास्थ्य भी शादी के बाद गर्भधारण का समय, बच्चों के बीच अंतर रखकर बेहतर किया जा सकता है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। महिलाओं व शिशुओं की पोषण गुणवत्ता में होगा विकास
पोषण और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए गर्भवती महिलाओं का नियमित चेकअप और संतुलित आहार मिलना आवश्यक है। एनएफएसएच 4 के आंकड़ों के अनुसार 2016 में जिले में 52 फीसद बच्चे कुपोषित थे। 2021 में एनएफएसएच डेटा के अनुसार यह 43 फीसद तक है। महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके पोषण पर ध्यान दिया गया तो बच्चे भी कुपोषण के शिकार नहीं होंगे। पांच सूत्र वाक्य से कुपोषण के आंकड़े में सुधार किया जा सकता है। खानपान बढ़ोतरी, सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपयोग, वीएचएसएनडी सर्विस की पहुंच, गुणवत्ता में विकास, साफ-सफाई पर जोर और बच्चों के बीच अंतर आदि शामिल हैं। इसके लिए सभी विभागों की एक साथ सहभागिता आवश्यक है। जल्द ही इस परियोजना को पूरे जिले में लागू करने की योजना है।