शुरुआती तिमाही के बाद धीमी पड़ी 'आकांक्षी' योजनाओं की गति

कभी कालापानी के नाम से मशहूर रहे पूर्णिया में हालात तो काफी बदले हैं लेकिन आज भी यहां

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 09:01 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 05:13 AM (IST)
शुरुआती तिमाही के बाद धीमी पड़ी 'आकांक्षी' योजनाओं की गति
शुरुआती तिमाही के बाद धीमी पड़ी 'आकांक्षी' योजनाओं की गति

कभी कालापानी के नाम से मशहूर रहे पूर्णिया में हालात तो काफी बदले हैं लेकिन आज भी यहां की अधिकतर आबादी को स्वच्छ पेयजल, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हो पाई है। 2011 की गणना के अनुसार जिले की आबादी 32,73,619 है। इसमें अभी भी 19,76,000 परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर कर रहे हैं। सामाजिक वर्गीकरण के हिसाब से देखें तो यहां अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 4,03,000 और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की संख्या 1,44,000 है। जिले में पिछड़ी और अल्पसंख्यक लोगों की आबादी भी काफी है।

आजादी के बाद से ही जिला विकास के मामले में पिछड़ा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह शिक्षा की कमी रही है। शिक्षा के क्षेत्र में यह इलाका शुरू से ही पिछड़ा रहा है। आलम यह है कि जिले में आज भी साक्षरता की दर 51.08 ही है।

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हर साल बाढ़ कर जाती है लोगों को कंगाली

भारत-नेपाल की सीमा पर बसा पूर्णिया जिला चारों ओर से नदियों से घिरा है। महानंदा, परमान, कनकई, बकरा, कोसी की कई उप नदियों से यह क्षेत्र घिरा है। परिणाम यहां की आबादी हर साल बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से जूझती रही है। बाढ़ के कारण हर साल किसानों की फसल से लेकर लोगों की जमा पूंजी तक पानी के साथ बह जाती है और लोग फिर से कंगाल हो जाते हैं।

यहां के लोगों के रोजगार का प्रमुख साधन कृषि ही है लेकिन कृषि के विकास के लिए अब तक कोई विशेष कार्य नहीं होने से कृषि पिछड़ी गई और लोग बेरोजगार होते गए। इधर औद्योगिक विकास नहीं होने से लोगों के पास रोजगार के अन्य साधन नहीं हैं जिस कारण रोजी-रोटी के लिए पलायन के सिवा और कोई रास्ता उनके पास नहीं है। यही वजह है कि जिला दिन ब दिन पिछड़ता चला गया।

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आकांक्षी जिले में शामिल है पूर्णिया

केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद देश के पिछड़े जिलों के विकास के लिए अलग से रणनीति बनाई गई। देश भर में 115 पिछड़ों जिलों को चिन्हित कर आकांक्षी जिलों में शामिल किया गया या जिसमें पूर्णिया भी शामिल है। सरकार ने नीति आयोग का गठन कर उन जिलों के विकास के लिए पांच साल के लिए विशेष योजनाएं चला कर विकास का खाका तैयार किया। इसके बाद शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि एवं आधारभूत संरचना के निर्माण में गति तो आई है, लेकिन इसे रफ्तार नहीं मिल पायी है। स्थानीय स्तर पर लापरवाही की वजह से योजनाओं का सकारात्मक असर नहीं हो पा रहा है जिस कारण आज भी यहां से लोग रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं और न ही लोगों का जीवनस्तर सुधर पाया है।

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शुरुआती तिमाही में हुए तेजी से काम

शुरुआती तिमाही में योजनाओं में बेहतर ढंग से तालमेल के साथ काम हुआ। इसका सकारात्मक परिणाम भी सामने आया। उस वक्त पूर्णिया ने कुपोषण से निजात पाने और स्वास्थ के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर मानक सूचकांक में देश में चौथा और बिहार में पहला रैंक प्राप्त किया। तब नीति आयोग ने पूर्णिया जिला को तीन करोड रुपये का पुरस्कार भी दिया। लेकिन बाद के साल में इसकी रफ्तार धीमी हो गई। अभी भी यहां साक्षरता दर साढे़ 52 फीसद ही जिसमें महिलाओं का दर 44 फीसद से भी कम है। अभी भी सुदुर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंच पाई हैं। पीएचसी की बात छोड़ दें तो अर्बन एरिया में भी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी है।

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नीति आयोग की डेल्टा रैंकिग में पिछड़ा जिला

दो साल पूर्व शुरू हुई आकांक्षी योजना के तहत शुरुआती दौर में बेहतर प्रदर्शन के बाद इस साल नीति आयोग की डेल्टा रैंकिग के साथ -साथ कम्पोजिट स्कोर में पूर्णिया पिछड़ गया है। जुलाई महीने में स्वास्थ्य और पशुपालन के क्षेत्र में जिले का पर्सेंटेज घटा है। बेसिक इंफ्रास्ट्रचर और आर्थिक कौशल विकास को छोड़ कर अन्य सभी इंडिकेटर में पूर्णिया का प्रगति जून महीने की तुलना में कम है। डेल्टा रैंकिग में पूर्णिया की उपलब्धि 57.6 प्रतिशत थी जो जुलाई में 56.9 प्रतिशत पहुंच गई। वहीं जिले के कम्पोजिट स्कोर में भी गिरावट हुई है। जून महीने में जिले का कम्पोजिट स्कोर 46.1 था जो जुलाई में घट कर 46 प्रतिशत पर आ गया। स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में काफी ज्यादा गिरावट आई है। जून महीने में जहां जिले की उपलब्धि 57.5 प्रतिशत थी वह जुलाई महीने में 1.5 प्रतिशत घट कर 56 पर पहुंच गई है। जुलाई महीने में कृषि और जल स्त्रोत में भी जिले की उपलब्धि मात्र 17.2 प्रतिशत है।

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राष्ट्र के 113 आकांक्षी जिलों में पूर्णिया को शामिल किए जाने के बाद यहां शिक्षा,स्वास्थ्य एवं आधारभूत संरचना में तेजी से विकास हुआ है। शुरुआती तिमाही में पूर्णिया को देश में चौथी रैंकिग हासिल करने का सौभाग्य भी मिला है। कोरोना संक्रमण को लेकर योजनाओं के क्रियान्वयन की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है लेकिन अब पुन: लक्ष्य के अनुरूप काम शुरू कर दिया गया है।

मनोज कुमार, उप विकास आयुक्त, पूर्णिया

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