धरातल पर शुरू हुई साहित्यिक गतिविधयां, अभिनंदन ग्रंथ का हुआ लोकार्पण

पूर्णिया। कोरोना के कारण ठहरी साहित्यिक गतिविधियां धरातल पर शुरू हुई। स्थानीय जिला स्कू

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 07:26 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 07:26 PM (IST)
धरातल पर शुरू हुई साहित्यिक गतिविधयां, अभिनंदन ग्रंथ का हुआ लोकार्पण
धरातल पर शुरू हुई साहित्यिक गतिविधयां, अभिनंदन ग्रंथ का हुआ लोकार्पण

पूर्णिया। कोरोना के कारण ठहरी साहित्यिक गतिविधियां धरातल पर शुरू हुई। स्थानीय जिला स्कूल परिसर स्थित भारतीय स्काउट भवन में गुरुवार को पुस्तक लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया। समाजसेवी और अवकाश प्राप्त कृषि वैज्ञानिक डॉ. पीपी सिन्हा के अभिनंदन में प्रकाशित एक ग्रंथ का लोकार्पण किया गया। युवा साहित्यकार अतुल मलिक अनजान के संपादन में प्रकाशित डॉ. पीपी सिन्हा अभिनंदन ग्रंथ के लोकार्पण समारोह के अवसर पर केशव मेमोरियल सेवा संस्थान की ओर से कई साहित्यकारों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बुजुर्ग समाज के अध्यक्ष भोलानाथ आलोक ने की जबकि मुख्य अतिथि कवि परमेश्वर गोयल उर्फ काका बिहारी और डॉ. पीपी सिन्हा मौजूद थे। कार्यक्रम का उद्घाटन साहित्यकार व संवदिया पत्रिका के संस्थापक संपादक भोला पंडित प्रणयी ने किया। मंच संचालन कवि यमुना प्रसाद बसाक ने की। अतिथियों का स्वागत संपादक अतुल मल्लिक अनजन ने किया। मंचासीन अन्य साहित्यकारों में गोपाल चंद्र घोष मंगलम, महेंद्र नारायण पंकज, डॉ. उत्तिमा केसरी, दीपक कुमार अज्ञात, सुरेंद्र शोषण, श्रवण अमनेश्वर, मनहरण, सुरेन्द्र भारती थे। अतिथियों का स्वागत स्पर्श के संपादक उमेश पंडित उत्पल ने माला पहनाकर किया। वक्ताओं में गौरीशंकर पुर्वोत्तरी, गिरजानंदन मिश्र, मंजुला उपाध्याय ,समाज सेवी एस एम झा, गोविद कुमार, ज्योत्स्ना कुमारी, राजेंद्र प्रसाद वेणु,महेश विद्रोही, हरिश्चंद्र सिंह, कैलाश बिहारी चौधरी, विभति कुमार, स्काउट के जिला संगठन आयुक्त दिवाकर कुमार अमर ज्योति, सोनू राय आदि शामिल थे। समाजसेवी भोलेनाथ आलोक ने कहा कि यह बहुत सुखद अनुभव है कि पीपी सिन्हा जैसे महान समाजसेवी और साहित्यसेवी पर एक अभिनंदन ग्रंथ आया है। समाज के लिए जो लोग कुछ भी करते हैं उसके लिए उनका मूल्यांकन होना ही चाहिए। मुख्य अतिथि परमेश्वर गोयल उर्फ काका बिहारी ने कहा कि युवा कवि अतुल मलिक अनजान में काफी संभावनाएं हैं। अभिनंदन ग्रंथ निकालकर निश्चित तौर पर साहित्य में एक अभूतपूर्व योगदान दिया है। साहित्यकार भोला पंडित प्रणयी ने कहा कि पीपी सिन्हा का समाज, साहित्य और अध्यात्म हर क्षेत्र में अपनी दखल रखते हैं। पीपी सिन्हा ने कहा कि साहित्य समाज का ऋणि होता है।

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