पूर्णिया कॉलेज के पुस्तकालय भवन में दिनकर ने 'रची थी रश्मिरथी'

पूर्णिया। पूर्णिया कॉलेज के पुस्तकालय भवन में हिदी विभाग और पुस्तकालय समिति के संयुक्त तत्वावधा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Sep 2020 09:04 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 05:13 AM (IST)
पूर्णिया कॉलेज के पुस्तकालय भवन में दिनकर ने 'रची थी रश्मिरथी'
पूर्णिया कॉलेज के पुस्तकालय भवन में दिनकर ने 'रची थी रश्मिरथी'

पूर्णिया। पूर्णिया कॉलेज के पुस्तकालय भवन में हिदी विभाग और पुस्तकालय समिति के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 113वी जयंती मनाई गई।

इस मौके पर मुख्य अतिथि डीन (मानविकी) डॉ. मिथिलेश मिश्र ने दिनकर के 'रामधारी' नाम की विशद चर्चा की। पूर्णिया विवि दिनकर पीठ के अध्यक्ष डॉ. गौरीकांत झा उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्णिया कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. मुहम्मद कमाल ने कहा कि मिथिलांचल और बिहार के लिए गर्व की बात है कि दिनकर ने 'रश्मिरथी' की रचना पूर्णिया कॉलेज के पुस्तकालय भवन में ही की थी। इसे दिनकर सदन के रूप में जाना जाता है। वे ओज, संघर्ष और द्वंद्व के कवि थे। उन्होंने भविष्य में दिनकर की संगमरमर की आदमकद प्रतिमा स्थापित करने की बात कही।

विवि हिदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. कामेश्वर पंकज ने कहा कि वे युगबोध के कवि हैं। विवि शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज परासर ने भी दिनकर के काव्य की विविधता पर चर्चा की। पुस्तकालय समिति के संयोजक डॉ. शंभुलाल वर्मा ने उनके राष्ट्रकवि बनने के संघर्ष की चर्चा की। जंतु विज्ञान के प्राध्यापक राकेश कुमार ने उनके बारे में सूचनात्मक जानकारी दी तथा सितंबर में जन्म लेने वाले विभिन्न महापुरुषों की चर्चा की। सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ. गजाधर यादव ने कहा कि उनका व्यक्तित्व हिमालय के समान विशाल है। हिदी विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रणव कुमार ने भी अपनी बात रखी।

इस मौके पर कॉलेज के सभी शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मी मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. देव नारायण यादव ने स्वागत भाषण से किया। मंच संचालन हिदी विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. अंकिता विश्वकर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन हिदी विभाग के सहायक प्राध्यापक ज्ञानदीप गौतम ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ।

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