बदले परिवेश में प्रेमचंद की रचनाओं को नए नजरिए से पढ़ने की जरूरत: कुलपति

पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया के स्नातकोत्तर हिदी विभाग द्वारा अमर कथाकार प्रेमचंद की जयंती पर प्रेमचंद साम्राज्यवाद और आज विषयक बेविनार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 11:42 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 11:42 PM (IST)
बदले परिवेश में प्रेमचंद की रचनाओं को नए नजरिए से पढ़ने की जरूरत: कुलपति
बदले परिवेश में प्रेमचंद की रचनाओं को नए नजरिए से पढ़ने की जरूरत: कुलपति

पूर्णिया। पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया के स्नातकोत्तर हिदी विभाग द्वारा अमर कथाकार प्रेमचंद की जयंती पर प्रेमचंद : साम्राज्यवाद और आज विषयक बेविनार का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डा. राजनाथ यादव के निर्देशानुसार इस राष्ट्रीय बेविनार का आयोजन किया गया ।विषय पर प्रकाश डालते हुए कुलपति डा. यादव ने कहा कि प्रेमचंद आज भी सर्वाधिक पढ़े जाने वाले रचनाकारों में शुमार हैं ।जब वे लिखते थे तब भारत में साम्राज्यवाद था और आज उपभोक्तावाद का दौर है ।इस बदले हुए परिवेश में प्रेमचंद की रचनाओं को नए नजरिए से पढ़ने की जरूरत है। वस्तुत: कथा सम्राट प्रेमचंद की रचनाएं आज भी जीवंत और प्रेरणादायी हैं । बेविनार में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद जे .एन .यू. के वरिष्ठ प्रो. डा. रामचंद्र ने प्रेमचंद के समग्र साहित्य पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद जिस समय समाज के लेखक व रचनाकार थे उस समय समाज साम्राज्यवादी चंगुल में फंसा हुआ था। उनका साहित्य साम्राज्यवादी वादी ताकतों के विरुद्ध एक हथियार का काम करता है । उन्होंने कहा कि प्रेमचंद केवल साम्राज्यवाद से मुक्ति की बात ही नहीं करते थे बल्कि वर्ण वाद से मुक्ति की बात भी करते थे। दलितों की मुक्ति की बात करते थे। आजादी के 70 साल बाद भी प्रेमचंद का वह सपना पूरा नहीं हो पाया है, जो दुखद है । पूर्णिया कालेज के प्राचार्य मु. कमाल ने प्रेमचंद साहित्य पर अपना विचार व्यक्त किया। । उन्होंने कहा साम्राज्यवाद का अवसान पूंजीवाद में हुआ और आज बाजारवाद है। साम्राज्यवाद में प्रेमचंद ने जिस साहित्य की रचना की, जिन मूल्यों को गढ़ा वह साम्राज्यवाद और पूंजीवाद के लिए था। आज बाजारवाद से लड़ने के लिए भी उनका साहित्य प्रासंगिक है। बेविनार में मौजूद डा. सुरेंद्र नारायण यादव ने भी अपना विचार व्यक्त किया। इससे पूर्व प्रेमचंद की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। स्वागत भाषण देते हुए हिदी के विभागाध्यक्ष डा. कामेश्वर पंकज ने कहा कि कुलपति के निर्देशानुसार इस बेविनार का आयोजन किया गया है। बेविनार में मानविकी संकाय अध्यक्ष प्रो. डा. मिथिलेश मिश्र सहित कई अन्य वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।

chat bot
आपका साथी