डीएपी की रैक पूर्णिया तो पहुंची पर नहीं मिली यहां के किसानों को खाद

डीएपी की किल्लत झेल रहे जिले के किसानों को एक और झटका लगा है। डीएपी की बड़ी खेप पूर्णिया तो पहुंची लेकिन उसे पड़ोसी जिलों को भेज दिया गया और यहां के किसान खाली हाथ रह गए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 08:06 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 08:06 PM (IST)
डीएपी की रैक पूर्णिया तो पहुंची पर नहीं मिली यहां के किसानों को खाद
डीएपी की रैक पूर्णिया तो पहुंची पर नहीं मिली यहां के किसानों को खाद

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। डीएपी की किल्लत झेल रहे जिले के किसानों को एक और झटका लगा है। डीएपी की बड़ी खेप पूर्णिया तो पहुंची लेकिन उसे पड़ोसी जिलों को भेज दिया गया और यहां के किसान खाली हाथ रह गए। न जनप्रतिनिधि और न अधिकारी किसानों के लिए आगे आए। इस पर बिहार राज्य खुदरा उर्वरक बीज कीटनाशी संघ के प्रदेश अध्यक्ष निरंजन कुशवाहा ने भी सवाल उठाया है। हालांकि जिला कृषि पदाधिकारी प्रशांत मिश्रा ने बताया कि ये उर्वरक दूसरे जिलों के लिए आवंटित थे। जल्द ही पूर्णिया के लिए भी डीएपी और अन्य उर्वरक पहुंच जाएगा जिसे यहां के किसानों के बीच वितरण किया जाएगा।

दरअसल बुधवार को पूर्णिया जंक्शन पर खाद से लदी 42 बोगी मालगाड़ी पहुंची। उस पर इफको कंपनी का दो लाख 30 हजार एमटी डीएपी खाद लोड थी। यह खबर किसानों के बीच फैल गई तथा उन्हें सकुन मिला कि अब उन्हे खाद मिलेगा तथा वे रबी की बोआई कर सकेंगे। लेकिन उन्हें निराशा तब हुई जब सभी खाद पड़ोसी जिलों को भेज दिया गया, यहां के लिए एक बोरी भी आवंटन नहीं बचा। सभी खाद अररिया, किशनगंज, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा जिले को भेज दिया गया। जबकि सीमांचल में रबी के सीजन में सबसे अधिक मक्का की फसल पूर्णिया जिले में लगाई जाती है। पिछले साल जिले में इसका आच्छादन 95 फीसद से अधिक था। यहां के किसानों का यह प्रमुख क्रैस क्राप है। लेकिन खाद के इंतजार में किसान खेतों में बोआई नहीं कर रहे हैं। किसानों के लिए एक-एक दिन भारी पड़ रहा है क्योंकि ज्यों-ज्यों दिन निकल रहा है फसल पछात होती जा रही है जिससे उसकी उपज प्रभावित हो जाएगी। खाद के अभाव में इस बार यहां मक्का का आच्छादन प्रभावित हो सकता है। बावजूद यहां अब तक खाद का नहीं पहुंचना सवाल खड़े करता है। बिहार राज्य खुदरा उर्बरक खाद बीज बिक्रेता संघ के प्रदेश अध्यक्ष निरंजन कुशवाहा ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए कहा कि जिला को डीएपी का आवंटन न मिलना यहां के जनप्रतिनिधियों की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े करता है। कहा कि पड़ोसी जिले के जनप्रतिनिधियों की सक्रियता के कारण ही डीएपी का आवंटन उन्हें मिल सका। वैसे जनप्रतिनिधि बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि किसानों का मक्का और गेंहू डीएपी के बिना बर्बाद होने के कगार पर है। मगर विडंबना है कि सत्ता पक्ष के प्रतिनिधि होने के बावजूद यहां के किसान खाद की किल्लत झेलने को विवश हैं। उन्होंने कहा कि अगर अब भी व़क्त है, अगर जल्द उर्वरक मिल जाए तो रबी फसल हो सकती है अन्यथा कैश क्रॉप मक्का इस बार किसानों के हाथों से निकल जायेगा।

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