सोए रह गए निगम के कर्मी, नालों की जमीन भी हो गई गैरों के नाम

नगर निगम की जमीन फर्जीवाड़ा कर अपने नाम कराने की कड़ी अब नालों तक पहुंच गई है। नगर निगम के कर्मियों की उदासीनता से शहर के कई नालों की जमीन भी लोगों ने अपने नाम करा ली है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 08:00 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 08:00 PM (IST)
सोए रह गए निगम के कर्मी, नालों की जमीन भी हो गई गैरों के नाम
सोए रह गए निगम के कर्मी, नालों की जमीन भी हो गई गैरों के नाम

प्रकाश वत्स, पूर्णिया। नगर निगम की जमीन फर्जीवाड़ा कर अपने नाम कराने की कड़ी अब नालों तक पहुंच गई है। नगर निगम के कर्मियों की उदासीनता से शहर के कई नालों की जमीन भी लोगों ने अपने नाम करा ली है। नालों को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर शुरु हुई जमीनी पड़ताल में यह राज परत-परत खुलने लगे हैं। इस स्थिति को लेकर अब पूरा विभाग ही भौचक्क है। म्यूसपल सर्वे के दौरान निगम कर्मियों की मिलीभगत से हुआ खेल यह पूरा खेल म्यूसपल सर्वे 1988 के दौरान ही हुई है। सर्वे के बाद आपत्ति दर्ज कराने की निर्धारित समय सीमा में निगम के कतिपय कर्मियों की मिलीभगत से यह खेल खेला गया है। दरअसल जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले लोग व निगम की जमीन को अपनी जमीन बताने वाले लोगों ने चढ़ावा देकर निगम कर्मियों को चुप करा दिया। इधर समय पर आपत्ति नहीं आने से निगम की जमीन गैरों के नाम हो गई। बाद में इसकी खोजबीन तक करने की जहमत नहीं उठाई गई। इधर हाल में शहर को जल जमाव से मुक्ति दिलाने के लिए निगम के स्तर से जब जमीनी पड़ताल शुरु की गई तो चौकाने वाले तथ्य सामने आने लगे। कब्रिस्तान तक ही दिख रहा लालगंज ड्रेनेज का अस्तित्व पड़ताल के दौरान यह बात भी सामने आई कि शहर का मुख्य लालगंज ड्रेनेज का अस्तित्व तक माधोपाड़ा कब्रिस्तान के बाद समाप्त हो गया है। उसके नालों की अधिकांश जमीन लोगों ने अपने नाम करा ली है। इसी तरह पूर्व में डान बास्को स्कूल के पीछे से न्यू सिपाही टोला होकर बक्सा घाट तक जाने वाले नालों की जमीन पर कई जगह मकान बन चुके हैं। लोगों ने सर्वे के दौरान ही उक्त नाला की जमीन अपने नाम करा ली थी और उक्त नालों की जमाबंदी दूसरे के नाम से दिख रही है। यही स्थिति मधुबनी से गिरिजा मोड़ होकर जाने वाले नाला की भी है। यही नहीं मुख्य लालगंज ड्रेनेज जो कभी 50 से 60 फीट चौड़ा हुआ करता था, वह अब कहीं-कहीं दस फीट तक सिमट चुका है। उसकी कुछ जमीन भी लोगों ने अपने नाम करा ली। यद्यपि अब भी ड्रेनेज के बड़े हिस्से पर लोगों का अवैध कब्जा भी है। जलजमाव की गंभीर समस्या से जूझता है शहर

पूर्णिया शहर के लिए जलजमाव सबसे गंभीर समस्या है। खासकर बरसात के मौसम में पूरा शहर झील बना रहता है। कई मोहल्लों में लोगों के घरों में भी पानी प्रवेश कर जाता है। इसकी एक मुख्य वजह पूर्व के जलबहाव के रास्तों का अवरुद्ध होना है। इसके अलावा नालों का अतिक्रमण से उसकी साफ-सफाई भी दिन ब दिन कठिन होता जा रहा है।

कोट-

शहर के मुख्य व सहायक नालों को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर इसकी जमीनी पड़ताल कराई जा रही है। इसी क्रम में मुख्य नाला का अग्र भाग सहित कुछ अन्य नालों की जमीन 1988 के म्यूसपल सर्वें में लोगों द्वारा अपने नाम करा लेने की बात भी सामने आई है। निश्चित रुप से निगम के तत्कालीन पदाधिकारी व कर्मियों की उदासीनता इसकी मुख्य वजह रही है। इस दिशा में यथोचित कार्रवाई की जा रही है।

जीउत सिंह, नगर आयुक्त, पूर्णिया।

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