फाइलेरिया रोगियों के घरेलू रोग प्रबंधन के लिए किया जा रहा किट वितरण

जिले में अब भी फाइलेरिया के नए रोगी की पहचान जारी है। पिछले सप्ताह चले अभियान में 24 नए रोगी की पहचान हुई जिसके बाद अब रोगियों की संख्या 4749 हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 05:59 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 05:59 PM (IST)
फाइलेरिया रोगियों के घरेलू रोग प्रबंधन के लिए किया जा रहा किट वितरण
फाइलेरिया रोगियों के घरेलू रोग प्रबंधन के लिए किया जा रहा किट वितरण

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। जिले में अब भी फाइलेरिया के नए रोगी की पहचान जारी है। पिछले सप्ताह चले अभियान में 24 नए रोगी की पहचान हुई, जिसके बाद अब रोगियों की संख्या 4749 हो गई है।

जिला वाहक जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. आरपी मंडल ने बताया कि वाहक जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में चिह्नित रोगियों के बीच फाइलेरिया किट का वितरण किया जा रहा है। अब तक एक सौ से अधिक रोगियों के बीच इसका वितरण हो चुका है। फाइलेरिया को लेकर सभी प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को फाइलेरिया के लक्षण, कारण और बचाव की जानकारी देने का निर्देश दिया गया है।

इस संबंध में जिले में 150 मरीजों के बीच रोग नियंत्रण और घरेलू प्रबंधन के लिए उपचार किट प्रदान किया गया है। इसमें टब, साबुन, पाउडर आदि जैसे चीज रहते हैं। दवा भी साथ में दी जाती है। बताया कि फाइलेरिया के रोगियों को अपने पांव का अधिक ख्याल रखना चाहिए।

किट का वितरण प्रारंभ हो गया है अब सभी प्रखंड स्तर पर रोगियों के बीच वितरित किया जाएगा। फाइलेरिया के कारण व बचाव के प्रति लोगों को सचेत किया जा रहा है। जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। फाइलेरिया एक परजीवी रोग है। रोग का फैलाव मच्छर के काटने से फैलता है। इससे शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन, हाइड्रोसिल और हाथीपांव के रूप में प्रकट होता है। इसका प्रभाव सभी आयु वर्ग में होता है। इसका फैलाव कम करने के लिए दो वर्ष के अधिक आयुवर्ग के बीच डीइसी की एक खुराक दी जाती है। जो पिछले माह आयोजित कर जिले में किया गया था। इसमें एलवेंडाजोल की एक गोली खिलानी होती है।

रोकथाम के लिए घरेलू प्रबंधन आवश्यक -:

डा. आरपी मंडल ने बताया कि पुराने फाइलेरिया के मरीजों को घरेलू रोग प्रबंधन के लिए उपचार किट के रूप में टब, मग, टावेल, साबुन, बिटाडीन और मलहम आदि प्रदान किया जाता है। सभी रोगियों और उनके स्वजन को इसके इस्तेमाल के लिए कार्यशाला आयोजन कर जानकारी दी गई है। जिले में वर्तमान में चार हजार 749 रोगी है। इसमें तीन हजार रोगी केवल हाथी पांव के हैं। 147 रोगी हाइड्रोसील के चिह्नित किए गए जिनका आपरेशन किया जाना है।

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