पूजी गई महालक्ष्मी, श्रद्धालुओं ने किया अमृतपान

प्रखंड क्षेत्र में लक्ष्मी पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । यह पूजा खासकर धन-धान्य सुख संपति-प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह पूजा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के मां दुर्गा पूजा दशमी के बाद पांचवा दिन पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है ।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 06:31 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 06:31 PM (IST)
पूजी गई महालक्ष्मी, श्रद्धालुओं ने किया अमृतपान
पूजी गई महालक्ष्मी, श्रद्धालुओं ने किया अमृतपान

संस,अमौर (पूर्णिया)। प्रखंड क्षेत्र में लक्ष्मी पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । यह पूजा खासकर धन-धान्य, सुख, संपति-प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह पूजा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के मां दुर्गा पूजा दशमी के बाद पांचवा दिन पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है । यह पूजा खासकर लोग धन-धान्य की बढ़ोतरी के लिए पूजा अर्चना की जाती है।

यह पर्व खासकर नितेन्दर, बालूगंज ,तरोना, बिष्णुपुर सकमा, असरनाह,पोठिया गंगेली ,धूरपेली आदि गांव में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना में खासकर प्रसाद के रूप में खोवा, पुरी, गोटा नारियल, केला, गन्ना, धान का खोय,नारियल का मिठाई, लड्डू माता को भोग लगाया जाता है। पंडित शशिकांत झा ने पूजा के दौरान बताया कि आज के दिन जो सच्चे मन से मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है मां उसको धन धान्य से परिपूर्ण कर देती है। केनगर में भी लोगों में दिखा उत्साह

संस,केनगर (पूर्णिया) : प्रखंड के कोहवारा पंचायत के चम्पानगर बाजार स्थित दुर्गा मंदिर में एक दिवसीय लक्ष्मी पूजा का आयोजन किया गया। पूजा को लेकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा भी स्थापित की गई थी। बुधवार को पूजा विसर्जन के साथ ही माता लक्ष्मी की प्रतिमा को भक्ति भजन, गाजे बाजे एवं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कारी कोशी में जल प्रवाह कर दिया गया। ज्ञात हो कि चम्पानगर दुर्गा मंदिर में माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना मंदिर के निर्माण काल से ही चली आ रही है। मंदिर के पूजारी चन्द्रदेव झा ने बताया माता लक्ष्मी की पूजा में मखाना, खीर, पकवान, फल तथा लाल रंग के चढ़ाने का विशेष महत्व है। श्रद्धालू विधि पूर्वक माता की पूजा अर्चना करेंगे तो निश्चित ही माता उनकी मनोकामना पूरी करेंगी। जानकीनगर में इन स्थानों पर की गई पूजा अर्चना

संस,जानकीनगर (पूर्णिया) : शरद पूर्णिमा के अवसर पर महाराजगंज 01 तथा अभयरामचकला पंचायत की सीमा पर स्थित जोक मध्य विद्यालय गंगापुर के परिसर में वैदिक रीति रिवाज से महालक्ष्मी पूजनोत्सव संपन्न हुआ। इसके साथ ही पूजा व मेला कमिटी के सदस्यों ने यहां मेला की तैयारी शुरू कर दी है। विगत 27 वर्षों से यहां शरद पूर्णिमा के अवसर पर महालक्ष्मी पूजा व मेला का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ धर्मनाथ सिंह, चंदेश्वर सिंह, मिथिलेश सिंह,अशोक सिंह,श्यामदेव उरांव, भवेश पासवान,छट्ठू चौधरी, डब्लू पासवान,राजो मंडल,ज्ञानी सिंह, संजीव कुमार सिंह, सहित स्थानीय सभी युवाओं व ग्रामीणों को मशरूफ देखा जा रहा है। शरद पूर्णिमा का ये हैं महत्व

दूसरी ओर क्षेत्रवासियों ने शरद पूर्णिमा की रात में बरसी अमृत बूंदों का पान किया। ऐसी मान्यता है कि दूध से बने भोजन तथा खीर,फल आदि को पूर्णिमा की रात घर के आंगन,छत या फिर खुले आसमान के नीचे रखते हैं और मध्य रात्रि को ओस की बूंद के रूप में अमृत की वर्षा होती है। मधुबन पंचायत के ज्योतिषाचार्य पंडित मुन्ना पाण्डेय , चोपड़ा बाजार के पंडित सच्चिदानंद पाण्डेय , रामपुर तिलक के पंडित महाकांत झा, कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी रात में अमृत की वर्षा होती है। धार्मिक, वैज्ञानिक एवं स्वास्थ्य की ²ष्टि से यह बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जानकारों के अनुसार इस रात चांद पूरी 16 कलाओं के साथ दिखाई देते हैं। इसी दिन से शुरू हो जाता है शीत ऋतु

पुरानी मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा का महत्व काफी है। इस दिन से शीत ऋतु का प्रारंभ हो जाता है। आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा को औषधीय गुणों वाली रात माना गया है।इस रात में ग्रहण की गई औषधि बहुत जल्दी लाभ पहुंचाती है। पूर्णिमा की रात की के सेवन करने का मूल भाव यही है कि अब ठंढ शुरू हो रही है तो गर्मी प्रदान करनेवाली ची•ाों का सेवन करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पंडित मुन्ना पाण्डेय बताते हैं कि इस रात चांद अपनी पूरी 16 कलाओं से युक्त दिखाई देता है।चंद्र की सोलह कलाओं के नाम अमृत,मनदा,पुष्प , पुष्टि,तुष्टि,ध्रुति,शाशनी,चंद्रिका,कांति,ज्योत्सना,श्री,प्रीति, अंगदा,पूर्ण, पूर्णामृत,और उमा हैं। बुजुर्गो का कहना है कि जिस प्रकार सूर्य की रोशनी हमारे स्वास्थ्य पर चमत्कारी प्रभाव डालती है,उसी प्रकार चंद्र की किरणें भी हमें लाभ पहुंचाती हैं, इसीलिए इस रात में कुछ लोग बाहर बैठते हैं।

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