पूर्णिया : राष्ट्रहित में नई सोच व नई दिशा के ध्वजवाहक थे दीनदयाल: कुलपति

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 105 वी जयंती पंडित दीनदयाल उपाध्याय अध्ययन पीठ पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया द्वारा बेविनार के माध्यम मनाई गई । कुलपति डा. राजनाथ यादव ने इसका उद्घाटन किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 11:40 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 11:40 PM (IST)
पूर्णिया : राष्ट्रहित में नई सोच व नई दिशा के ध्वजवाहक थे दीनदयाल: कुलपति
पूर्णिया : राष्ट्रहित में नई सोच व नई दिशा के ध्वजवाहक थे दीनदयाल: कुलपति

पूर्णिया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 105 वी जयंती पंडित दीनदयाल उपाध्याय अध्ययन पीठ, पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया द्वारा बेविनार के माध्यम मनाई गई । कुलपति डा. राजनाथ यादव ने इसका उद्घाटन किया। अपने संबोधन में कुलपति ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसे महामानव थे, जिन्होंने राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक क्षेत्रों में राष्ट्रहित में नई सोच और एक नई दिशा प्रदान की । उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के गंभीर चितन का सुफल एकात्म मानववाद के रूप में हमारे समक्ष आया । वस्तुत: पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने भारत के पुरातन मूल्य की वर्तमान युग के अनुकूल नवीन व्याख्या प्रस्तुत की। पंडित दीनदयाल उपाध्याय अध्ययन पीठ, पूर्णिया विश्वविद्यालय के कार्यकारी अध्यक्ष डा. एम.एन चौधरी ने सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद की समीचीन व्याख्या प्रस्तुत की है । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर मध्य प्रदेश के दर्शनशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अंबिका दत्त शर्मा थे। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद सिद्धांत की समीचीन व्याख्या प्रस्तुत करते हुए कहा कि वस्तुत: सबका साथ और सबका विकास ही मानवतावाद है। शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा अर्थात चार पुरुषार्थों के समन्वय से ही हम एक सार्थक मानव जन्म जी सकते हैं। वैदिक ऋचाओं में बार-बार कहा गया है कि मनुर्भव, अर्थात मनुष्य बनो । पंडित दीनदयाल उपाध्याय का चितन पूरी तरह से सांस्कृतिक प्रतिष्ठा का वाहक है, जहां राजनीति भी सांस्कृतिक प्रतिष्ठा का साधन बनती हैं। एकात्म मानवतावाद का स्पष्ट अर्थ सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया है। समारोह के विशिष्ट अतिथि बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रोफेसर अरुण कुमार भगत ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को संपादकों के संपादक अर्थात संपादकाचार्य कहा और स्पष्ट किया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय सफल संपादक और पत्रकारिता के क्षेत्र में मील का पत्थर थे। वे राष्ट्रधर्म पंचजन्य व स्वदेश दैनिक जैसी कई पत्रिकाओं के संपादक रहे। विवेकानंद, महर्षि अरविद, गांधीजी आदि का प्रभाव पंडित दीनदयाल उपाध्याय के मानव दर्शन पर पड़ा और उससे जो विचारधारा प्रस्फुटित हुई वह हमारी राष्ट्रीयता का आधार बनी। समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डा. बीनू पाठक ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को एक महान विचारक और राष्ट्रवादी नेता बताते हुए उनके विचारों को साझा किया। कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत विभाग की सहायक प्राध्यापिका डा. निरुपमा राय ने किया।

chat bot
आपका साथी