स्मैक की तलब कर देता बेचैन, पैडरल ही बन जाता है कूरियर

स्मैक के आदी होकर वेंडर (थोक विक्रेता) के चंगुल में फंस पैडरल (खुदरा विक्रेता) बनने वाल

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 07:52 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 07:52 PM (IST)
स्मैक की तलब कर देता बेचैन, पैडरल ही बन जाता है कूरियर
स्मैक की तलब कर देता बेचैन, पैडरल ही बन जाता है कूरियर

स्मैक के आदी होकर वेंडर (थोक विक्रेता) के चंगुल में फंस पैडरल (खुदरा विक्रेता) बनने वाला युवक बाद में कूरियर की भूमिका निभाने को भी विवश हो जाता है। स्मैक की तलब बुझाने के लिए कुछ भी करने पर अमादा ऐसे युवकों से वेंडरों द्वारा बेहद शातिराना अंदाज में कूरियर का कार्य लिया जाता है। इस पूरे नेटवर्क की पहचान में पुलिस भी लगातार जुटी हुई है। ऐसे लोगों की एक सूची भी पुलिस द्वारा तैयार कर उस पर नजर रखी जा रही है। वेंडर घर बैठे ही मंगा लेते हैं माल

जानकारी के अनुसार पूर्णिया में अधिकांशत: पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी व मालदा से ही स्मैक मंगाया जाता है। सिलीगुड़ी व मालदा से आने वाले रास्तों पर सख्ती बढ़ने पर नेपाल व सिलीगड़ी से भी माल मंगाया जाता है। शहर के ज्यादातर वेंडर खुद कभी स्मैक लाने बाहर नहीं जाते हैं। स्मैक की लत लगा पैडरल खड़ा करने वाला वेंडर बाद में इसी पैडरल को कूरियर के रुप में उपयोग करते हैं। स्मैक के लिए पैसा नहीं जुटने व कोरियर की भूमिका निभाने पर एक साथ दस या पंद्रह दिन की खुराक मिल जाने के लोभ में पैडरल फंस जाते हैं और हर जोखिम उठा स्मैक लाने को तैयार हो जाते हैं। लगभग तीन दर्जन से अधिक पैडरल फिलहाल यहां कोरियर की भूमिका निभा रहे हैं। पैडरल सिलीगुड़ी, मालदा, नेपाल व झारखंड में निर्धारित स्थान से वेंडर द्वारा तय मात्रा में स्मैक लेकर सीधे यहां पहुंच जाता है। बाइक व चार पहिया वाहन के तेल टंकी में भी छुपाकर लाया जा रहा स्मैक

जानकारी के अनुसार स्मैक लाने के लिए कोरियर द्वारा लगातार नया-नया तरकीब अपनाया जा रहा है। पुलिस को जांच के क्रम में अब तक जो जानकारी मिली है उसमें बाइक व चार पहिया वाहन के तेल टंकी तक का उपयोग स्मैक लाने के लिए किया जा रहा है। कई वेंडरों द्वारा किराए या फिर खुद के चार पहिया वाहन को इसके लिए इस्तेमाल किया जाता है। पकड़े जाने की स्थिति में कोरियर पर किसी भी सूरत में वेंडर का नाम न खोलने का दबाब भी रहता है। बता दें कि पाउडर के रुप में रहने वाले स्मैक को प्लास्टिक के पैकेट में बंद कर टंकी में छुपा लिया जाता है।काफी पूर्व भी इस तरह स्मैक लाते एक तस्कर को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उसके सरगना तक पहुंचने में पुलिस नाकाम रही थी।

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स्मैक के कारोबारियों व इसके आदी लोगों पर नकेल कसने को लगातार पुलिस अपनी तय कार्य योजना पर कार्य कर रही है। हाल में इसको लेकर पुलिस को सफलता भी हाथ लगी है। इससे जुड़े हर पहलू पर पुलिस की नजर है और इससे जुड़ा हर शख्स जल्द ही सलाखों के पीछे होगा।

सुरेंद्र कुमार सरोज, एसडीपीओ, सदर।

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